मथुरा। दीपावली महोत्सव पांच दिन विशेष मनाया जाता है, धन त्रयोदशी से भाई दोज तक। परंतु इस वर्ष पांच नहीं, चार दिनों का ही दीपोत्सव होगा। 13 नवंबर को धन त्रियोदशी से दीप पर्व का शुभारंभ होगा, जोकि 16 नवंबर को भाई दूज के साथ समाप्त होगा।
पं अजय कुमार तैलंग ज्योतिषचार्य का कहना है कि वर्ष 2019 में भी ऐसा ही संयोग बना था।
13 नवंबर को तेरस शाम छह बजे तक है। बाद में चतुर्दशी प्रारंभ होगी, जो 14 नवंबर को दोपहर 2.18 बजे तक रहेगी। इसलिए 13 नवंबर को प्रदोष काल में धनतेरस, यम दीपदान, शिवरात्रि व प्रदोष के पर्व मनाए जाएंगे। धन्वंतरि जयंती का पर्व भी मनेगा।
रूप चतुर्दशी का पर्व अरुणोदय से पूर्व मनाया जाता है। इसलिए कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी शनिवार की सुबह मनेगी।
इस वर्ष 14 नवंबर को स्वाति नक्षत्र, सौभाग्य योग, तुला राशि का चंद्रमा, तुला राशि का सूर्य व धनु राशि के गुरु में होगा।
धार्मिक मान्यता है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक घड़ी अधिक तक अमावस्या तिथि रहे, उस दिन दीपावली मनाई जाती है। इस वर्ष 13 नवंबर को दोपहर 2.18 तक चतुर्दशी, बाद में अमावस्या प्रारंभ होगी, जोकि 14 को सुबह 10.37 तक रहेगी। इसलिए 14 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन होगा और दीवाली मनेगी।
15 नवंबर को सुबह 10.37 बजे के बाद गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के आयोजन होंगे। 16 नवंबर को प्रतिपदा सुबह 7.06 बजे तक है। बाद में द्वितीया प्रारंभ होगी। इस तरह तिथि गणना के अनुसार दीप पर्व पांच नहीं चार दिनों का ही होगा।
ज्योतिषाचार्य आलोक गुप्ता के अनुसार पंचांग में घटती बढ़त तिथियों के कारण इस साल धनतेरस 12 नवंबर को रात 9:30 से प्रारंभ होकर 13 नवंबर अर्ध रात्रि तक रहेगी। उसके बाद 14 नवंबर सूर्योदय से नरक चतुर्थी तिथि दोपहर 2:18 तक रहेगी। अमावस्या तिथि दोपहर 2:18 से 15 नवंबर की सुबह 10:36 बजे तक रहेगी। अर्थात अमावस्या 14 से शुरू होकर 15 तक रहेगी। ऐसे में 13 नवंबर को धनतेरस तथा दीपावली 14 को मनाई जाएगी। 15 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी और अंतिम दिन 16 को भाई दूज के सात चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी। तिथियों के घटने बढ़ने के कारण इस साल दीपावली महापर्व 5 दिन के बजाय 4 दिन का रहेगा।
महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
गृहस्थों के लिए शुभ मुहूर्त श्रीमहालक्ष्मी के पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त और प्रदोषकाल के समय उत्तम है।इस समय पूजन करने में लाभ मिलता है।
सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोषकाल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न वृषभ का भी उदय हो रहा है। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। इसी समय परम शुभ नक्षत्र स्वाति भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। सभी गृहस्थों के लिए इसी समय के मध्य में मां श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।