-ऑक्सीजन से लेकर डाॅक्टरों और हाॅस्पीटलों सहित अन्य सहयोगी उपकरणों में बारे में कोविड सेवक एप्लीकेशन से मिलेगी जानकारी
मथुरा। इस भयंकर महामारी से देश में हर तीसरा सख्श जूझ रहा है। अस्पताल फुल हैं। रेमडेसिविर की किल्लत है। एंबुलेंस ढूंढे से नहीं मिल रही हैं। ऑक्सीजन के लिए त्राहि-त्राहि हो रखी है। ऐसे में जनजीवन को बचाने एवं महामारी से जूझ रहे लोगों की सहायता के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्रों ने मिलकर एक अद्भुत एप तैयार किया है, जिसमें ऑक्सीजन सहित डाॅक्टरों से लेकर हाॅस्पीटलों की पूरी जानकारी आप घर बैठे ले सकते हैं।
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के छात्र प्रखर सिंह, अशिता विजय सेठ, वैष्णवी शिवहरे एवं रजनीश गुप्ता सहित कई छात्रों ने महामारी से जूझ रहे लोगों को सही समय पर सही इलाज और उनकी दवाई, एंबुलेंस, डाॅक्टर, रेमडेसिविर, ऑक्सीजन, प्लाज्मा, टेस्टिंग बूथ आदि विभिन्न महामारी से बचाव की जानकारी हेतु एक वेबसाइट ‘कोविड सेवक डाॅट इन‘ तैयार की है, जिसे उपयोगकर्ता मोबाइल पर क्रोम ब्राउजर में खोलेंगे और उसी के माध्यम से इस एप को डाउनलोड़ भी कर सकते हैं और सीधे तौर पर मोबाइल में क्रोम ब्राउजर के माध्यम से प्रयोग भी कर सकते हैं।
इस एप के माध्यम से आगरा, जौनपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, प्रयागराज, रायबरेली, रूड़की, वाराणसी जिलों में दवाई, एंबुलेंस, डाॅक्टर, रेमडेसिविर, ऑक्सीजन, प्लाज्मा, टेस्टिंग बूथ आदि विभिन्न जानकारियां मिल सकेंगी। यही नहीं घर बैठे अगर आप इलाज लेना चाहते हैं, तो इस एप में प्रत्येक जिले में तैनात डाॅक्टरों के मोबाइल नंबर नाम सहित दर्ज हैं, जिन नंबरों के माध्यम से कोविड़ के इजाज हेतु संपर्क किया जा सकता है और इलाज के बारे में आसानी से जवाब भी मिल जायेगा।
ऐसा ही कुछ हाॅस्पीटलों के नाम सहित उनमें दर्ज बैडों के बारे में भी खाली होने और न होने की जानकारी मिल सकेगी। ऑक्सीजन की जरूरत वाले लोगों के लिए भी राहत हेतु जहां से ऑक्सीजन प्राप्त हो सकेगी, इसके लिए विभिन्न सेन्टरों के नाम और मोबाइल नंबर दर्ज किए गए हैं, ऑक्सीजन लाने और खाली सिलेंडर भरवाने हेतु संपर्क किया जा सकता है।
छात्र प्रखर ने बताया कि ‘कोविड सेवक डाॅट इन‘ एप पर दी गयी जानकारी विभिन्न हाॅस्पीटलों का भ्रमण कर सटीक जानकारी जुटाई गयी है। प्रतिदिन एप पर अपडेट भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस एप दी गयी जानकारी को अपडेट करने के लिए प्रतिदिन कई छात्र उक्त जिलों के अस्पतालों और ऑक्सीजन सेंटरों सहित विभिन्न जगहों का भ्रमण कर जानकारी अपडेट करते हैं, जिससे कोविड से जूझ रहे लोगों को हमेशा सही समय पर इलाज और उनकी सहायता हो सके।
छात्रों ने विभागीय शिक्षकों की सराहना करते हुए कहा कि पढ़ाई के दौरान विश्वविद्यालय में तकनीकी ज्ञान भी दिया जाता है। इसी तकनीकी ज्ञान के बल पर यह वेबसाइट तैयार की है और आज कोविड़ सेवक तौर पर कार्य करते हुए कोविड़ से जूझ रहे लोगों की उचित इलाज हेतु कदम उठाये गए हैं। वेबसाइट के सहयोग में सुमित कुमार, कार्तिक कटियार, आषुतोश कुमार, लिपि सेठ, नन्दिनी चैरसिया, काजल बंसल आदि छात्र अपने-अपने जिलों से संपूर्ण जानकारी इस पर अपडेट कर रहे हैं।