“कोरोना महामारी ने पर्यावरण की महत्वता को ढंग से समझा दिया है, अब आगे की जिम्मेवारी हमारी”

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मथुरा। पूरे उत्तर प्रदेश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपनी हरियाली के चलते हरित प्रदेश भी कहा जाता रहा है क्योंकि गंगा – जमुना जैसी बड़ी नदियों का प्रवाह इसी क्षेत्रों को उपजाऊ बनाता है, पानी की भरपूर मात्रा के चलते अच्छी सिंचाई के कारण खेती और वन क्षेत्र यहां एक प्राकृतिक वरदान के रूप में यहां के निवासियों को मिला हुआ है। परंतु गत दो – दशकों से बढ़ते औद्योगिकरण और विकास के नाम पर इस क्षेत्र को सरकारों द्वारा बर्बाद किया जा रहा है।
यह कुल निचोड़ सारांश रहा आज पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण एवं पर्यटन विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन विचार गोष्ठी के आयोजन द्वारा, जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के बुद्धिजीवियों ने भागीदारी करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया और भविष्य के प्रति सचेत रहकर कार्य को अंजाम देने की बात पर सहमति व्यक्त की।
ऑनलाइन विचार गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजराज सिंह राना ने की।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नेता राजा भैया ने कहा कि हमारी प्राचीन धरोहर हमारे जंगल और फलदार बाग हुआ करते थे परंतु आज इनका स्थान कंक्रीट के जंगलों ने ले लिया है तथा क्षेत्र का तापमान स्वत: ही 4 से 10 डिग्री तक बढ़ गया है, जो कि एक चिंता का विषय है।
इसी क्रम में युवा अधिवक्ता जियाउर रहमान ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदियां अब गन्दे नाले का रूप लेती जा रही हैं तथा इन नदियों का जल प्राणियों के उपयोग हेतु नहीं रह गया है।
मथुरा से युवा पत्रकार राकेश शर्मा ने कहा कि यमुना नदी का पानी राजधानी दिल्ली द्वारा अत्यधिक प्रदूषित किया जाता रहा है और आप दिल्ली के बाहर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों द्वारा भी इस नदी में कारखानों व सीवर का गंदा पानी धड़ल्ले से प्रवाहित कराया जा रहा है, यमुना का पानी अब जहर बन चुका है।
हाथरस से भारत केसरी पहलवान रामेश्वर यादव जोकि इस बार जिला पंचायत का चुनाव जीते हैं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और उसके अंदर कार्यरत वन विभाग अपनी साख खो चुका है और भ्रष्टाचार के कारण अपने नैतिक कर्तव्यों को भूल चुका है जिस कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश का वन क्षेत्र 2% तक सिमट कर रह गया है।
अलीगढ़ शहर से युवा अधिवक्ता प्रतीक चौधरी एवं राजीव भारद्वाज ने कहा कि मौजूदा केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद पूरे शहर का सत्यानाश हो चुका है हरे भरे पेड़ों की स्मार्ट सिटी बनाने के लिए नित रोज आहूति दी जा रही है।
धनीपुर ब्लॉक के गुरुसिकरन गांव से युवा समाजसेवी अनिल गहलोत ने कहा कि मल्टी स्टोरी बिल्डिंग और अन्य आवासीय योजनाओं के कारण हमारे क्षेत्र का तापमान हर रोज बढ़ता जा रहा है, जबकि उस अनुपात में वृक्षारोपण कार्य बहुत ही दयनीय स्थिति में पहुंच गया है।
अंत में पर्यावरण एवं पर्यटन विकास समिति के प्रबंधक सचिव और आज की विचार गोष्ठी के संचालक रंजन राना ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारी गलत जीवनशैली के चलते हमें बहुत बड़ा सबक सिखा दिया है कि हमने अपने पर्यावरण को नुकसान देकर अपने चारों ओर खतरनाक वातावरण को पैदा किया है। आज ऑक्सीजन की कमी, शुद्ध पानी की कमी, शुद्ध खानपान की वस्तुओं की कमी लगातार होती जा रही है, क्योंकि यह सभी प्राथमिकताएं अच्छे पर्यावरण और वातावरण से प्राप्त होती हैं। अतः हम सभी को पर्यावरण मित्र बनकर अपने आने वाले भविष्य के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करना चाहिए।
अध्यक्षीय मंच से वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजराज सिंह राना ने कहा कि हमें अपने-अपने जनपदों में शेष बचे हुए जंगलों को हर हाल में सुरक्षा प्रदान कराने के लिए आवाज उठानी चाहिए और नए वन क्षेत्र कैसे पैदा हो..? उसके लिए सामूहिक प्रयास करके ही हम पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं।
ऑनलाइन विचार गोष्ठी में उपभोक्ताओं के अतिरिक्त रितिश यादव, अर्जुन पंडित,मोहम्मद जीशान, गौरव सक्सेना आदि उपस्थित रहे।

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