मथुरा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। चुनावी साल होने के कारण इस बजट के पिटारे में आम आदमी के लिए खास तौर से हो या ना हो लेकिन कम से कम ऐसी घोषणाओं की उम्मीद जरूर की जा रही है जिससे आम परिवारों की उम्मीद पूरी हो सके।
बजट से पहले मथुरा सीए एसोसिएशन के चेयरमैन सीए अनुराग खंडेलवाल ने वे प्राथमिकताएं गिनाई जो इस बार आम आदमी को राहत पहुंचा सकती हैं।
• वर्तमान में कर मुक्त आय की सीमा नई व पुरानी स्कीम दोनों के अंतर्गत ढाई लाख रुपए वार्षिक है। किसी व्यक्ति की आय ढाई लाख रुपए सालाना होने पर आयकर नहीं देना होता है। यह सीमा वित्त वर्ष 2014- 15 में निर्धारित की गई थी। तब से अब तक इसमें बदलाव नहीं हुआ।यह लिमिट कम से कम ₹500000 की जानी चाहिए।
• स्वयं के मकान के लिए होम लोन की ब्याज पर ₹200000 तक की धारा 24b के अंतर्गत अधिकतम कटौती मिलती है। यह सीमा भी वित्त वर्ष 2014-15 में डेढ़ लाख से बढ़ाकर 2 लाख की गई थी। अब प्रॉपर्टी की कीमत करीब दोगुनी हो गई है। ऐसे में इस कटौती को बढ़ाकर 3 लाख करने की जरूरत है।
• वेतन भोगी करदाताओं को वर्तमान में ₹50000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलती है जो भड़नी चाहिए। कर्मचारियों को अपने कार्य के निष्पादन के लिए कई तरह के खर्च करने होते हैं इसमें स्किल डेवलपमेंट भी शामिल है, लेकिन वेतन भोगी करदाताओं को उन खर्चों की व्यापारियों की तरह कटौती नहीं मिलती है। इस लिमिट को बढ़ाना चाहिए और हो सके तो इसे मिलने वाले वेतन से भी लिंक कर इसकी अधिकतम सीमा तय करनी चाहिए।
• आयकर की धारा सेक्शन 80 सी के तहत अधिकांश करदाता कटौती का लाभ लेते हैं। इसके अंतर्गत कोचिंग फीस, जीवन बीमा, टैक्स टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड, पीपीएफ इत्यादि आते हैं। इसमें मिलने वाली अधिकतम कटौती की सीमा 1.5 लाख है जो अंतिम बार 2014 में बनाई गई थी। इसे भी ढाई लाख रुपए किया जाना चाहिए।
• करदाताओं को मकान बनाने के लिए लोन लेने पर उस पर चुकाए गए ब्याज की कटौती मकान पूरा होने के पश्चात 5 किश्तो में मिलती है। आम करदाता को राहत मिले, इसलिए जिस वर्ष उस ईएमआई का भुगतान हो उसी वर्ष ब्याज की कटौती दे देना चाहिए। इससे करदाता को मकान बनते हुए भी टैक्स में कटौती मिल जाएगी और उन पर किराए के मकान में रहते हुए किराए एवं इएमआई देते हुए इनकम टैक्स देने का अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा।
• आयकर की धारा 44 एडी के तहत छोटे करदाताओं की सुविधा के लिए यदि करदाता बैंक चैनल के माध्यम से ट्रांजैक्शन करता है तो उसे 8 फीसदी के स्थान पर 6 फीसदी की दर से अनुमानित आय मानते हुए टैक्स देना होता है। जबकि प्रोफेशनल करदाताओं को धारा 44एडीए के तहत 50 फीसदी अनुमानित आय मानते हुए कर देना होता है, जो बहुत अधिक है इसे भी बैंक चैनल के माध्यम से ट्रांजैक्शन करने पर अनुमानित आय के प्रतिशत को 35 फीसदी कर देना चाहिए, जिससे करदाताओं को कई प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी।
• वर्तमान में पार्टनरशिप फर्मो पर लगने वाला आयकर 30 फीसदी है जो मौजूदा परिस्थितियों में ज्यादा है, इसे घाटा कर 25% कर देना चाहिए।
• वर्तमान में आयकर रिटर्न दाखिल करने में यदि कोई गलती हो जाती है तो उसे रिवाइज रिटर्न दाखिल कर सुधार किया जा सकता है। ऐसे करदाता जिनकी बुक्स का ऑडिट होता है उनका रिटर्न 30 अक्टूबर तक दाखिल करना होता है एवं 31 दिसंबर रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि होती है। दो माह का समय गलती के संज्ञान में आने और उसको सुधार के लिए बहुत ही कम है, इस अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च तक किया जाना चाहिए।
• केवल ऐसे वेतनभोगी कर्मचारी, जिनकी कुल आय 50 लाख से अधिक होती है उन्हें अपनी व्यक्तिगत संपत्ति आयकर रिटर्न में दाखिल करनी होती है। लेकिन अधिकांश कर्मचारियों की कुल आय 50 लाख तक नहीं होती है, इसलिए उनके लिए इस सीमा को 15 लाख रुपए तक कर राहत देनी चाहिए।
• कंपनियों को अपने सामाजिक दायित्व के निर्वाह के लिए विभिन्न जन कल्याण योजनाओं के अंतर्गत सीएसआर में अनिवार्य रूप से खर्च करना होता है। इस खर्च पर आयकर में कटौती नहीं मिलती। बजट में सीएसआर पर किए जाने वाले खर्चों की व्यापार में खर्चे के रूप में कटौती मिले ऐसे प्रावधान करने चाहिए जिससे अधिक से अधिक कंपनियां जन कल्याण योजनाओं में भागीदार बन सकें।