– प्रवासी पक्षियों की किलोल से चहक रहा आगरा-मथुरा के मध्य फरह निकट जोधपुर झाल, लगातार बढ रही संख्या
– जनवरी के दूसरे सप्ताह में होगा एशियन वाटरबर्ड सेंसस-2025
मथुरा। लगातार बढ़ रही सर्दी के साथ जोधपुर झाल वेटलैंड पर प्रवासी पक्षियों के जमावड़े ने पक्षी प्रेमियों में गर्मजोशी भर दी है। सर्द मौसम के बढ़ते ही प्रवासी प्रजातियों की संख्या भी यहाँ बढ़ने लगी है। उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक यहाँ प्रतिवर्ष आने वाली सभी प्रजातियां इस वेटलैंड पर पहुंच जाएंगी। इनमे अधिकांश पक्षी कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस, साइबेरिया, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, तिब्बत, भूटान आदि देशो से आते हैं।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संरक्षित मथुरा और आगरा जनपद सीमा पर फरह निकट स्थित जोधपुर झाल देश विदेशी पक्षियों का ठिकाना बन रहा है। संरक्षण के पश्चात प्रवासी और स्थानीय संकटग्रस्त पक्षियों की प्रजातियों ने इस वेटलैंड को अपनी शरणस्थली बना लिया है। स्थानीय संकटग्रस्त पक्षियों में सारस क्रेन, ब्लैक-नेक्ड स्टार्क, पेन्टेड स्टार्क, ब्लैक-हेडेड आईबिश का भी जमावड़ा लग गया है।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा ने बताया कि सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों को बेसब्री से इंतजार रहता है। प्रवासी पक्षियों के पहुंचने से पक्षी प्रेमी व पर्यावरण प्रेमी लगातार जोधपुर झाल पर पहुंच रहे हैं। विभिन्न डिग्री कॉलेज और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए वेटलैंड पर आरहे हैं।
सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे से आने वाले संकटग्रस्त प्रवासी पक्षियों में शामिल है काॅमन पोचार्ड
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के बाइल्डलाइफ ईकोलोजिस्ट डाॅ के पी सिंह ने बताया कि भारतीय क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का माइग्रेशन मुख्यतः सेंट्रल एशियन फ्लाइ-वे से होता है। सेंट्रल एशियाई फ्लाई-वे भौगोलिक रूप से उत्तर, मध्य और दक्षिण एशिया और ट्रांस-काकेशस के 30 देशों को कवर करता है, जिनमें मध्य एशियाई व यूरोपीय देश शामिल हैं। इस फ्लाई-वे से 182 प्रजातियों के प्रवासी जलीय पक्षी सर्दियों में प्रवास पर आते हैं जिसमें 29 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त और खतरे के निकट वाली प्रजातियां शामिल हैं। काॅमन पोचार्ड इन 29 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल है।
जोधपुर झाल पर पहुंचे है यह प्रवासी पक्षी
बार-हेडेड गूज, ग्रे-लैग, यूरेशियन विजन, काॅमन पोचार्ड, पाइड एवोसेट, टफ्टिड डक, गेडवाल, गारगेनी, काॅमन टील, काॅमन पिनटेल, नोर्दन शोवलर, सिट्रिन वेगटेल, व्हाइट वेगटेल, व्हाइट ब्राउडेड वेगटेल, रफ, नाब-बिल्ड डक, लेशर विशलिंग डक, ग्रीन सेन्डपाइपर, बुड सेन्डपाइपर, मार्श सेन्डपाइपर, मार्श हैरियर, ब्लूथ्रोट, साइबेरियन स्टोनचैट आदि दिख रहे हैं।
स्थानीय पक्षियों का भी लग रहा जमघट
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा जोधपुर झाल वेटलैंड को विकसित करने के प्रयासो के परिणाम स्वरूप स्थानीय पक्षियो की संख्या में भी वृद्धि रिकार्ड हो रही है। यहां सारस क्रेन, बूली-नेक्ड स्टाॅर्क, ब्लैक-नेक्ड स्टाॅर्क, पेन्टेड स्टार्क, ब्लैक ब्रेस्टेड वीवर, स्ट्रीक्ड वीवर, रेड मुनिया, सिल्वर-बिल्ड मुनिया, ट्राई कलर मुनिया, बैबैक श्राइक, इंडियन रोलर, पाइड बुशचैट, ब्लैक-हेडेड आईबिश, ब्लैक-सोल्डर काइट, अलेक्जेंड्रियन पैराकीट आदि भी दिखाई दे रहे हैं।
वेटलैंड पर निर्भर पक्षियों की होगी गणन, तैयारी शुरू
बायोडायवर्सिटो रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी जोधपुर झाल पर वेटलैंड इन्टरनेशनल संस्था के साथ मिलकर जोधपुर झाल पर जलीय पक्षियों की गणना करती है। पक्षी विशेषज्ञ डाॅ के पी सिंह ने बताया कि हर साल वेटलैंड इन्टरनेशनल द्वारा दक्षिण एशियाई देशों में वेटलैंड पर निर्भर पक्षियों की गणना की जाती है। इसी क्रम में जोधपुर झाल पर पर लगातार चौथी साल एशियन वाटरबर्ड सेंसस-2025 का आयोजन जनवरी के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित है।