मथुरा। एनजीटी के निर्देश पर धान की पराली जलाने की रोकथाम के पीछे किसानों का शोषण किए जाने का भी मामला प्रकाश में आया है। गोवर्धन क्षेत्र में 2 किसानों के विरुद्ध धान कुटने से पहले ही पराली जलाने का मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
गोवर्धन तहसील में लालपुर क्षेत्र के लेखपाल सुरेंद्र कुमार ने 20 अक्टूबर को अलग-अलग दिन में पराली जलाए जाने के संबंध में 7 किसानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। इन 2 किसानों में हेतराम और ग्यासी राम भी हैं। इन दोनों किसानों का कहना है कि उनके विरुद्ध मुकदमा गलत तरीके से दर्ज कराया गया है। लेखपाल ने मुकदमे में 15 अक्टूबर को पराली जलाए जाने की बात कही थी लेकिन इन किसानों के धान को अब कूटा गया है। ऐसे में 15 तारीख को जब पराली निकाली ही नहीं गई तो फिर जली कैसे। धान और भूसा अभी खेत में ही रखा हुआ है। किसानों का आरोप है कि गांव की पार्टी बंदी के चलते झूठे इल्जाम लाकर उनको फंसाया जा रहा है।
किसानों की शिकायत पर मौके पर पहुंची एमएफआईडब्लू महिला फेडरेशन से कामरेड राधा चौधरी ने खेत की असली देने से स्पष्ट है कि पराली जलाने का मुकदमा झूठा दिखाया गया है। हम दोषी लेखपाल को निलंबित किए जाने की मांग करते हैं। साथ ही जिलाधिकारी को भी वास्तविक तथ्यों से अवगत कराया जाएगा। यदि किसान के विरुद्ध झूठे मुकदमे को वापस नहीं लिया गया तो गोवर्धन क्षेत्र के किसान सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।