जैविक प्रकिया से कुंडों के जल का होगा शोधन, गोकुल के अष्टसखी घाट से हुई शुरुआत
मथुरा। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद अब गोकुल, वृंदावन और नंदगांव के पांच प्राचीन कुंडों को उनका मूल स्वरूप प्रदान करने जा रहा है। यहाँ इन कुंडों का सौंदर्यीकरण करते हुए जैविक प्रकिया के तहत गंदे पानी का शोधन भी किया जाएगा। कुंडों के सौंदर्यीकरण की इस परियोजना पर करीब पांच करोड़ की लागत आ रही है। इसकी शुरुआत गोकुल के अष्टसखी घाट कुंड से हो गई है।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि गोकुल में यमुना किनारे ठकुरानी घाट और मुरली घाट के मध्य अष्टसखी घाट कुंड है, जो अब तक कीचड से भरा रहता है। गोकुल के एक हिस्से का गंदा पानी भी इस स्थान पर एकत्रित होता है। अब इसके सौंदर्यीकरण की प्रकिया उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने शुरु कर दी है। यहाँ इससे सिल्ट निकली जा रही है। सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि इसके बाद अष्टसखी घाट कुंड को प्राचीन स्वरूप के अनुरूप तैयार किया जाएगा। इस पर पुणे की संस्था ग्रीन वाटर रिव्होल्यूशन प्रालि काम कर रही है। यहाँ इस परियोजना के तहत सिविल वर्क के अलावा जैविक प्रक्रिया के तहत कुंडों का जल शोधन किया जाएगा। इसके लिए कुंडों में ग्रीन ब्रिज बनाए जाएंगे, जिनमें बालू, पत्थर, वेक्टेरिया, खाद और पौधों का उपयोग होगा। इस प्रक्रिया के तहत कुंडों तक पहुँचने वाला गंदा पानी शोधित होगा।
उन्होंने बताया कि गोकुल में अष्टसखी के अलावा वृंदावन सुनरख स्थित सौभरि कुंड, कोसी ड्रेन और नंदगांव स्थित ललिता कुंड और वृंदा कुंड का सौंदर्यीकरण भी शामिल है।
अष्टसखी घाट का सीईओ ने किया निरीक्षण
बुधवार को उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने गोकुल स्थित अष्टसखी कुंड का निरीक्षण किया। यहाँ कुंड से सिल्ट निकलने का काम किया जा रहा है। इस पर काम कर रही संस्था ग्रीन वाटर रिव्होल्यूशन प्रालि के मैनेज़िंग डायरेक्टर यशवंत कुलकर्णी से परियोजना को लेकर होने वाले कार्यों की जानकारी ली। इस दौरान पर्यावरण।विशेषज्ञ मुकेश शर्मा, रामवीर सिंह आदि मौजूद रहे।