ब्रज ब्रजेश्वरी ब्रह्माणी पद्ममुखी दुर्गा के दर्शन करने को आया था अकबर

बृज दर्शन

अकबरपुर की दुर्गा माता की महिमा है अपरंपार: प.मदनलाल

मथुरा। मथुरा- दिल्ली राष्ट्रीय राज मार्ग पर चौमुहां और नरी सेमरी के मध्य अकबरपुर गाँव में ब्रज बजेश्वरी ब्रह्माणी पद्ममुखी दुर्गा माता के प्राचीन मंदिर में नवदुर्गा महोत्सव के दौरान भक्त उमड़े। इस देवी मंदिर की अपनी अलग मान्यता है।
कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना देवी के अनन्य भक्त धांधू भगत ने की थी। किवदंती है कि जब धांधू भगत को अकबर ने दिल्ली दरबार में बुलाया था तब माता दुर्गा ने धांधू को स्वप्न ने कहा कि निःसंकोच होकर दिल्ली जाओ। मैं स्वयं तुम्हारे पीछे’पीछे चलूंगी। हुआ भी ऐसा ही। धांधू भगत दिल्ली गया और दरबार में अपना शीश काटकर माता को अर्पित कर दिया। माता के प्रताप से उसने पुनः अपना शीश अपने धड़ से जोड़ लिया। यह देखकर अकबर नत मस्तक हो गया। धांधू भगत को सम्मानित करते हुए प्रसन्नता पूर्वक विदा किया।
लौटते समय धांधू भगत को सन्देह हुआ कि माता मेरे पीछे अब भी लौट रही हैं या नहीं? उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि माता अपने अष्टभुजी स्वरूप में खड़ी मुस्करा रही हैं। धांधू उनके पैरों में गिर कर मन में उठे सन्देह हेतु क्षमा याचना करने लगा किन्तु माता तो मूर्तिवत होकर स्थापित हो चुकी थीं तब धांधू भगत ने विभिन्न प्रकार से स्तुति करते हुए विधि विधान से ग्रामीणों के समक्ष इस मंदिर की स्थापना की।

अकबर ने जब यह सुना तो वह यहाँ आया और माता के इस चमत्कार को साक्षात प्रणाम किया। उसी समय से लोगों ने इस स्थान को अकबरपुर का नाम दे दिया।

अष्टमी और नवमी को लगता है भव्य मेला

नव रात्रि के समय अष्टमी और नवमी के दिन यहाँ आज भी भव्य मेला लगता है। यहाँ देश के साथ-साथ विदेशों से भी दर्शनार्थी आकर माता के श्रीचरणों में दण्डवत करते हैं।

पंडित मदन लाल शर्मा का परिवार है सेवायत
इस देवी माँ के एक भक्त हैं जो कि इस मंदिर के पूर्व सेवायत पण्डित मदन लाल शर्मा ने बताया कि कई पीढ़ियों से उनके पूर्वज माता के सेवायत रहे हैं। उन्होंने लम्बे समय तक माता के सेवायत के रूप में सेवा की और अब उनके स्थान पर उनके छोटे भाई सेवायत हैं। माता की कृपा से वह अब लन्दन में सपरिवार निवास करते हुए वहाँ देवी माता के मंदिर में पुजारी हैं। वह प्रति वर्ष इन दिनों हिंदुस्तान आते हैं और परिवार में बड़े होने के नाते मुख्य सेवायत के रूप में माता की सेवा करते हैं।

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