-इज्जतनगर रेलवे एवं हाथरस बीएसए ने भी सीएमओ कार्यालय से मांगी जानकारी
लखनऊ/ बरेली/ हाथरस/मथुरा।
दिव्यांग प्रमाण पत्र के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले शिक्षक निशाने पर हैं। प्रमाण पत्र के जरिए रेलवे से लाभ लेने वालों की जांच शुरू कर दी गई है। मथुरा स्वास्थ्य विभाग से इस बारे में पूछा गया है कि यह प्रमाण पत्र सही हैं या गलत। चर्चा है कि जारी किए गए प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी संभव है।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्तियों में उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की जांच चल रही है। पूर्व में काफी प्रमाण पत्र फर्जी भी निकल चुके हैं। इसी के चलते एक शिकायत पर शिक्षक शिक्षक अंशुल मदनपुरा वि.ख मथुरा द्वारा कथित तौर पर शारीरिक दिव्यांगता(विकलांगता ) प्रमाण-पत्र के आधार पर कथित तौर पर फर्जी तरीके से सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी प्राप्त की। बीएसए ने शिकायत पर शैक्षणिक दस्तावेजों एवं नियुक्ति से संबंधित अभिलेख मुख्यालय भेजे हैं। बीएसए द्वारा भेजी गए दस्तावेज के अनुसार अंशुल का दिव्यांगता प्रमाण पत्र मथुरा सीएमओ कार्यालय द्वारा गत 18 जनवरी 2012 को निर्गत किया गया था। अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ लखनऊ ने इस बारे में सीएमओ को पत्र लिखा है। पूछा गया है कि उक्त शिक्षक का दिव्यांगता प्रमाण पत्र का विवरण सीएमओ कार्यालय के अभिलेखों में दर्ज है या नहीं। वह शारीरिक दिव्यांगता( विकलांगता )सहायक अध्यापक पद हेतु अहं है अथवा नहीं। शारीरिक विकलांगता सही है या नहीं।
बरेली रेलवे प्रशास ने भी भेजा पत्र
-इज्जतनगर पूर्वात्तर रेलवे के सहायक वाणिज्य प्रबंधक ने विकास नामक व्यक्ति द्वारा लगाया गया दिव्यांग प्रमाण पत्र भेज स्वास्थ्य विभाग से इसकी जानकारी मांगी है।
हाथरस बीएसए ने लिखा पत्र
–हाथरस बीएसए ने भी दिव्यांग प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए सीएमओ को पत्र लिखा है। नेत्रपाल नामक शिक्षक का दिव्यांग प्रमाण पत्र मथुरा सीएमओ कार्यालय से बना है। इस बारे में जानकारी मांगी गई है।