भाजपा के शिल्पकार कल्याण सिंह का जाना..

देश

कल्‍याण सिंह का जीवन परिचय
कल्‍याण सिंह का जन्‍म 5 जनवरी 1932 के दिन उत्‍तर प्रदेश (तब ब्रिटिश शासनकाल में संयुक्‍त प्रांत) के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के माधौली ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम तेजपाल लोधी और माता का नाम सीता देवी था। कल्‍याण सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ में ही पूरी की। इसके बाद उन्‍होंने स्‍थानीय महाविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की।
कल्‍याण सिंह का शादीशुदा जीवन
कल्‍याण सिंह का विवाह रामवती देवी से हुआ था। जिनसे उन्‍हें एक बेटा और एक बेटी है। कल्‍याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ऊर्फ राजू भैया वर्तमान में एटा जिले से बीजेपी सांसद हैं। वहीं उनकी बेटी का नाम प्रभा वर्मा है। कल्‍याण सिंह के पौत्र योगी आदित्‍यनाथ की वर्तमान सरकार में शिक्षा राज्‍य मंत्री हैं।
कल्‍याण सिंह का राजनैतिक जीवन
साल 1967 में कल्‍याण सिंह अतरौली से पहली बार विधानसभा सदस्‍य चुने गए। वह साल 1967 से 1980 तक लगातार उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के सदस्‍य रहे। वहीं देश में इमरजेंसी के समय 1975 से 1976 के बीच वह 21 महीने तक जेल में भी रहे। देश में इमरजेंसी समाप्‍त होने के बाद उत्‍तर प्रदेश में साल 1977 में रामनरेश यादव को मुख्‍यमंत्री चुना गया। रामनरेश यादव की सरकार में कल्‍याण सिंह को स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बनाया गया।
साल 1980 में कल्‍याण सिंह विधानसभा चुनाव हार गए। भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद उन्‍हें उत्‍तर प्रदेश का संगठन महामंत्री नियुक्‍त किया गया। इस दौरान कल्‍याण सिंह ने गांव-गांव जाकर बीजेपी को यूपी में पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद वह 1985 से 2004 तक फिर लगातार विधानसभा के सदस्‍य चुने गए। इस दौरान वह दो बार बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष के पद पर भी रहे।
कल्‍याण सिंह जब पहली बार बने मुख्‍यमंत्री
राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने उत्‍तर प्रदेश में व्‍यापक स्‍तर पर राम मंदिर आंदोलन चलाया। कल्‍याण सिंह ने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। यूपी में इस आंदोलन का असर ऐसा हुआ कि जून 1991 में यहां बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी, और कल्‍याण सिंह को पहली बार राज्‍य के मुख्‍यमंत्री पद की कमान सौंपी गई। कल्‍याण सिंह के इसी मुख्‍यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही अयोध्‍या बा‍बरी मस्जिद विध्‍वंस की घटना घटित हुई। इसके बाद कारसेवकों ने वहां श्री राम का अस्‍थायी मंदिर निर्माण कर दिया।
मुख्‍यमंत्री पद से दिया इस्‍तीफा
बाबरी मस्जिद विध्‍वंस की नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए कल्‍याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 के दिन उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया। यहीं से बीजेपी के लिए कल्‍याण सिंह के रूप में हिंदुत्‍ववादी चेहरे की तलाश पूरी हुई। साल 1993 में यूपी में फिर से विधानसभा चुनाव कराए गए। इसमें कल्‍याण सिंह अलीगढ़ के अतरौली और एटा के कासगंज से चुनाव जीते। कल्‍याण सिंह के नेतृत्‍व में हुए इन विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सपा और बसपा ने गठबंधन कर यूपी में सरकार बना ली और मुलायम सिंह यादव मुख्‍यमंत्री चुने गए। इस दौरान कल्‍याण सिंह यूपी में विपक्ष के नेता बने।

फिर बने मुख्‍यमंत्री
साल 1997 से 1999 तक कल्‍याण‍ सिंह दूसरी बार उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में उत्‍तर प्रदेश में कानून व्‍यवस्‍था बेहद मजबूत रही। यही कारण है कि आज भी कानून व्‍यवस्‍था के मामले में लोग कल्‍याण सिंह के मुख्‍यमंत्री कार्यकाल की मिसाल देते हैं। इसके साथ ही 1998 के लोकसभा चुनाव में कल्‍याण सिंह के नेतृत्‍व में बीजेपी ने यूपी से 58 सीटों पर जीत हासिल की थी।

इन राज्‍यों में रहे राज्यपाल
कल्‍याण सिंह ने 4 सितम्बर 2014 के दिन राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। वह 8 सितंबर 2019 तक इस पद पर रहे। वहीं इसके साथ ही उन्हें जनवरी 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया था।

कल्‍याण सिंह का निधन
89 वर्षीय कल्‍याण सिंह का 21 अगस्त दिन शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बता दें कि कल्याण सिंह बीते 52 दिनों से वेंटीलेटर पर थे। उनको 3 जुलाई की देर रात लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। यहां पर हालत नाजुक होने के बाद उन्‍हें 4 जुलाई की शाम एसजीपीजीआई में शिफ्ट किया गया था। कल्‍याण सिंह अभी एसजीपीजीआई के क्रिटिकल केयर मडिसिन विभाग के आईसीयू में थे। वह खुद से सांस नहीं ले पा रहे थे, जिसके कारण उन्‍हें लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रखा गया था।

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