परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बहुत जरूरी : डॉ. गुप्ता

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सीफार के सहयोग से परिवार कल्याण कार्यक्रमों पर मीडिया कार्यशाला
सीएमओ ने प्रधानों को छोटे परिवार की अलख जगाने में मदद का पत्र सौंपा
परिवार नियोजन का मुख्य उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना : सीएमओ
स्थानीय सांसद हेमामालिनी का वीडियो सन्देश भी किया गया प्रसारित

मथुुरा।। परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की सक्रिय भागीदारी इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की अपेक्षा बहुत ही सरल और आसान है । इसका कोई दुष्प्रभाव भी शरीर पर नहीं पड़ता है, इसलिए किसी भी भ्रम में पड़े बगैर पुरुष वर्ग आगे आये और परिवार पूर्ण होने पर नसबंदी की सेवा का लाभ उठाये । यह बातें संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आगरा मंडल डॉ. रविन्द्र गुप्ता ने शनिवार को स्थानीय एक होटल में जनसँख्या स्थिरता पखवारा पर स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कहीं ।
डॉ. गुप्ता ने परिवार कल्याण को लेकर मंडल में चल रहीं स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में विस्तार से बताने के साथ ही परिवार नियोजन की जरूरत पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि उपलब्ध विकास के संसाधनों का समुचित वितरण और बढ़ती जनसँख्या दर के बीच संतुलन बनाने के लिए जनसँख्या स्थिरीकरण आज के समय की बड़ी जरूरत है । इसके लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन की सेवाओं व सुविधाओं को प्रदान किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने के लिए ही जनसँख्या स्थिरता पखवारे की थीम- “खुशहाली का आधार-पुरुष जिम्मेदार” रखी गयी है ।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रचना गुप्ता ने जनप्रतिधियों को परिवार नियोजन सम्बन्धी पत्र सौंपते हुए गाँव में छोटे परिवार के बड़े फायदे की अलख जगाने की अपील की । ग्राम प्रधानों ने सहमति जताई है कि वह आशा कार्यकर्ताओं के जरिये घर-घर यह सन्देश पहुंचाएंगे । सीएमओ ने जिले में परिवार कल्याण को लेकर चलाये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने बताया कि समुदाय में आशा व अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से परिवार नियोजन के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है । 27 जून से 10 जुलाई तक चले दम्पति सम्पर्क पखवाड़ा के तहत आशा कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर योग्य व लक्षित दम्पति से संपर्क उनकी सूची तैयार कर चुकी हैं, जिन्हें 11 जुलाई से चल रहे जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के दौरान सेवाएं प्रदान की जा रहीं हैं । उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है । इसके अलावा जनसँख्या कम होगी तो सीमित साधनों का समुचित उपयोग कर सभी को बेहतर जीवन प्रदान किया जा सकता है । उन्होंने महिलाओं से अपील की कि अपने व बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए दो बच्चों के जन्म में तीन साल का अंतर जरूर रखें और परिवार जब पूर्ण हो जाए तो नसबंदी की सेवा का लाभ जरूर उठायें । बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए ओरल पिल्स, आईयूसीडी प्रसव पश्चात/गर्भ समापन पश्चात्, त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा, हार्मोनल गोली छाया व कंडोम की सुविधा हर स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त उपलब्ध है । इसलिए अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इन सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है ।
इस मौके पर परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. चित्रेश कुमार ने परिवार नियोजन की अस्थायी विधियों के बारे में बताया और त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन के प्रति महिलाओं की बढती रुझान के बारे में भी बताया । उन्होंने कहा कि लोग जागरूक हो रहे हैं और परिवार नियोजन सेवाओं को अपनाने को आगे आ रहे हैं ।
कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि गर्भवती के बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया जाता है । इसके जरिये उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को चिन्हित किया जाता है और उनके सुरक्षित प्रसव को लेकर खास सतर्कता बरती जाती है । इसके अलावा पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य व पोषण को लेकर चल रही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के बारे में बताया, जिसके तहत तीन किश्तों में पांच हजार रूपये सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं ।
इस मौके पर स्थानीय सांसद हेमा मालिनी का वीडियो सन्देश भी प्रसारित किया गया, जिसके जरिये उन्होंने जिले में चल रहीं विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने की लोगों से अपील की । उन्होंने स्वास्थ्यगत मुद्दों पर सीफार के कार्यों को भी सराहा और कहा कि समुदाय में योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है । कार्यशाला में यूपी टीएसयू की परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने परिवार कल्याण कार्यक्रमों में विभिन्न संस्थाओं द्वारा स्वास्थ्य विभाग को पहुंचाई जा रही मदद के बारे में बताया । जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम ) पारुल ने स्वास्थ्य सेवाओं में फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका की सराहना की और कहा कि योजनाओं को धरातल तक पहुंचाने में उनका योगदान सराहनीय है । कार्यशाला में उपस्थित मीडिया प्रतिनिधियों ने भी विभिन्न योजनाओं और उनके लाभार्थियों से जुड़े सवाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से किये ।
कार्यशाला में उपस्थित सीफार की नेशनल प्रोजेक्ट लीड रंजना द्विवेदी ने सही उम्र में शादी और पहले बच्चे के जन्म की योजना शादी के दो साल बाद ही बनाने पर जोर दिया और कहा कि बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर बहुत जरूरी है । कोरोना काल में भी परिवार नियोजन की सेवाओं को समुदाय तक पहुंचाने में विभाग द्वारा निभाई गयी जिम्मेदारी की सराहना की और कहा कि इसीलिए इस बार विश्व जनसँख्या दिवस की थीम- “आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी” तय की गयी है । उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित मीडिया प्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया । इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी और सीफार के प्रतिनिधि उपस्थित रहे ।

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