इस वर्ष तीन माह में 1288 महिलाओं ने कापर-टी, 875 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा लगवाया
मथुरा। विश्व जनसंख्या दिवस पर आशा बहुओं द्वारा महिलाओं को गर्भ निरोधक साधन अपनाने की सलाह दी जा रही है। महिलाओं को वाॅस्केट आफ च्वाइस के जरिए सभी प्रकार के गर्भ निरोधक स्थाई व अस्थाई साधनों के बारे में बताया जा रहा है लेकिन सबसे ज्यादा सुलभ और सुविधाजनक साधन प्रसव उपरांत पीपीआईयूसीडी पसंद किया जा रहा है।
पिछले वर्ष 2020-21 में ये साधन कुल संस्थागत प्रसव के सापेक्ष सिर्फ 17 फीसदी महिलाओं ने अपनाया था। इस वर्ष अप्रैल से जून माह तक कुल संस्थागत प्रसव के सापेक्ष 23 फीसदी यह साधन महिलाओं ने अपनाया है। इस वर्ष तीन माह में 1288 महिलाओं ने कापर-टी लगवायी है जबकि 875 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा लगवाया है।
सीएमओ डा. रचना गुप्ता बताती हैं कि गर्भ निरोधकों में पीपीआईयूसीडी एक बढ़िया साधन है। यह बर्थ कंट्रोल के लिए काफी प्रभावी होता है।आमतौर पर इसका उपयोग अनचाहे गर्भ से बचने और दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए किया जाता है।पीपीआईयूसीडी लगाने से 5 से 10 वर्षों तक गर्भवती न होने और टेंशन फ्री रहने में मदद मिलती है। ये पहला या दूसरा बच्चा होने के बाद प्रसव काल में लगाया जाता है।
पीपीआईयूसीडी एक छोटा सा अंतर्गर्भाशयी उपकरण है, जो प्लास्टिक और तांबे से निर्मित होता है। इसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। इसका टी आकार गर्भाशय में आसानी से फिट हो जाता है। पीपीआईयूसीडी स्त्रियों के गर्भाशय में बनने वाले अंडे को पुरुष के शुक्राणु से निषेचित होने नहीं देती है।
टी के आकार का बना यह उपकरण कॉपर से चारों ओर लिपटा होता है। यह कॉपर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय के अन्य तरल पदार्थों के साथ मिलकर उसमें कॉपर की मात्रा को बढ़ा देता है। कॉपर की बढ़ी हुई मात्रा के कारण यह द्रव शुक्राणु नाशक के रूप में काम करती है।
लाभार्थी को मिलते हैं 300 रुपए
मथुरा। डीसीपीएम पारुल शर्मा बताती हैं कि इसमें लाभार्थी को दो बार फॉलो अप में 300 रुपये प्रदान किए जाते हैं। कापर-टी महिला को किसी भी समय लगाई जा सकती है जबकि पी पीपीआईयूसीडी महिला को प्रसव के उपरांत लगाई जाती है।