-बीएड प्रशिक्षुओं को अंदेशा, परीक्षा के बाद कहीं अटक न जाये प्रमाणपत्र
चंद्र प्रकाश पांडेय
मथुरा। बेसिक शिक्षा के साथ-साथ उच्च शिक्षा की स्थिति भी बिल्कुल चौपट हो गई है। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद होने से बीएड छात्रों की इंटर्नर्शिप फंस गई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा बीएड में इंटर्नर्शिप अनिवार्य करने के कारण बिना इंटर्नर्शिप प्रमाणपत्र के परीक्षा होने के बाद परिणाम रूके रहने की संभावना है।
जिले में करीब 100 से अधिक बीएड कॉलेज हैं, जिनमें करीब 6500 से अधिक द्वितीय वर्ष के छात्र बीएड पास कर अध्यापक के लिए पात्र होंगे, लेकिन ऐसे इन छात्रों के सामने संकट की स्थिति खड़ी हो गई है। बीएड, बीटीसी-डीएलएड प्रशिक्षुओं को पढ़ाई के दौरान ही कक्षा एक से आठ तक के सरकारी स्कूलों में इंटर्नर्शिप करने का मौका दिया जाता है। प्रशिक्षु बच्चों को पढ़ाने जाते हैं, जिन्हें वहां पर तैनात प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापकों से शिक्षण से जुड़े टिप्स लेने होते हैं और सीखते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को माइक्रोटीचिंग के रूप में जाना जाता है।
इस वर्ष बीएड के छात्रों को ऑनलाइन टीचिंग के माध्यम से पढ़ाने का विकल्प कॉलेजों ने चुना था, लेकिन आगरा विश्वविद्यालय स्तर से माइक्रोटीचिंग के लिए कोई शाशनादेश जारी नहीं हुआ कि किस प्रकार प्रशिक्षुओं की माइक्रोटीचिंग करायी जाय। वजह भी यही रही उनकी यह टीचिंग रूकी हुई है। छात्रों को अब अंदेशा है कि कहीं परीक्षा होने के बाद प्रमाण पत्र न रूक जायें। प्रशिक्षु भी इस बात से काफी परेशां दिख रहे हैं कि इस महामारी के कारण ट्रेनिंग नहीं हो पायी है कि किस प्रकार बच्चों को पढ़ाया जाता है।
सेल्फ फाइनेंस एसोसिएशन आगरा और अलीगढ मंडल के अध्यक्ष ब्रजेश चौधरी ने बताया कि जब तक छात्रों की माइक्रोटीचिंग न हो तब तक प्रमाण पत्र जारी नहीं होने चाहिए। क्योंकि प्रमाण पत्र जारी होने के बाद कैसे और कब उनकी ट्रेनिंग हो पायेगी। सरकार से भी छात्रों के हित के ध्यान को रखते हुए प्राथमिक स्कूलों के नियमानुसार खोलने की मांग की है।
डीएनवी डिग्री कॉलेज के निदेशक राजकुमार वर्मा कहते हैं कि बिना ट्रेनिंग के छात्रों की पढ़ाई अधूरी ही रहेगी। ऐसे में सभी बीएड प्रशिक्षुओं माइक्रोटीचिंग का ज्ञान होना अनिवार्य है। जैसे ही स्कूल खुलेंगे तो छात्रों की इंटर्नर्शिप भी करायी जायेगी, जिससे उन्हें अध्यापक बनने के बाद कोई परेशानी न आये।