-ताज बीबी को श्री कृष्ण ने दिए थे दर्शन, गोकुल रहने लगी थी, कृष्ण पर बनाए भजन सुनाती थी
-गोकुल व रसखान की समाधि के पास है ताज बीबी की गुमनाम समाधि, उपेक्षित समाधि की ओर सुध नहीं
(चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार)
मथुरा। अकबर की हिंदू पत्नी जोधाबाई का नाम तो सभी ने सुना है लेकिन ताज बीवी का नाम बहुत से लोग नहीं जानते। वह अकबर की मुस्लिम पत्नी थी। वह बहुत बड़ी कृष्ण भक्त थी।
ताज बीबी की समाधि गोकुल व रमणरेती आश्रम के निकट है। ये समाधि आज उपेक्षा की शिकार है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी की वजह से ये एकदम गुमनाम है। कंटीली झाडियों से घिरी छतरीनुमा ये समाधि एक ऐसी कृष्ण भक्ति की गवाह है जिसे आज लोगों को यह बताने की जरूरत है। यह सभी को पता होना चाहिए कि ब्रज में मुस्लिम कृष्ण भक्त कवि रसखान की तरह ही अकबर की मुस्लिम पत्नी ताज बीबी भी रहती थी। वह दूसरी मीराबाई थी।
आपने अकबर की पत्नी जोधाबाई के बारे में आपने काफी सुना और पढ़ा होगा लेकिन शायद ही कभी अकबर की उस पत्नी के बारे सुना होगा जो थी तो मुसलमान लेकिन कृष्ण की ऐसी दीवानी हो गयी कि स्वयं गोपाल को इन्हें दर्शन देने के लिए आना पड़ा।
अकबर की इस पत्नी का नाम था ताज बीबी।
इसकी समाधि आज भी ब्रजभूमि की रमन रेती से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। वह समाधि कृष्ण भक्ति की गाथा कह रही है। इनके विषय में कथा है कि एक बार इन्होंने मौलवियों, मुल्लाओं और अपने इमाम से पूछा कि क्या अल्लाह का दीदार हो सकता है।
सभी ने उत्तर दिया हां हो सकता है। इनका उत्तर जानकर ताज बीबी काबा शरीफ की यात्रा पर चल पड़ीं। मार्ग में एक पड़ाव ब्रज में पड़ा। घंटे घड़ियालों की अवाज सुनकर ताज बीबी ने लोगों से पूछा कि यह क्या है।
दीवान ने कहा कि यहां कुछ लोगों का छोटा खुदा रहता है। ताज बीबी ने आग्रह किया कि वह छोटा खुदा से मिलकर ही आगे चलेंगी। जैसे ही मंदिर में प्रवेश करना चाहा, पंडों ने उन्हें रोक दिया। ताज वहीं बैठकर गाने लगीं। कहते हैं ताज की भक्ति से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने इन्हें साक्षात दर्शन देकर कृतार्थ किया।
ताज बीबी गोस्वामी विट्ठलनाथ जी की सेविका बन गईं। इन्होंने कृष्ण की भक्ति में कविताएं, छंद और धमार लिखे जो आज भी पुष्टिमार्गीय मंदिरों में गाए जाते हैं।
पुरातत्व विभाग की उपेक्षाओं के कारण इसकी समाधि आज वीराने में कांटों के वन से घिरी है और गुमनाम पड़ी है।
कुछ लोगों का तर्क है कि ताज बीबी अकबर की नहीं, अकबर के बेटे जहांगीर की पत्नी थी। हिन्दी साहित्य के रीतिकाल से पहले के दस्तावेजों में उसके पद बखूबी मिलते हैं, जो उसके कृष्ण प्रेम के बारे में बहुत कुछ बताते हैं. वे कृष्ण की वीरता का भी वर्णन करती है :–
” दुष्टजन मारे, सब संत जो उबारे ताज, चित्त में निहारे प्रन, प्रीति करन वारा है। नन्दजू का प्यारा, जिन कंस को पछारा, वह वृन्दावन वारा, कृष्ण साहेब हमारा है।। “