कैमिकल से बने रंगों से त्वचा और आंखों को नुकसान संभव

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कुछ कैमिकल से अस्थमा व अलर्जी हो सकती है, किडनी पर भी असर

रंग सिर्फ कपड़ों पर डालें और डलवाएं, चेहरे पर नही: डा चौहान

मथुरा। रंगों के त्यौहार की उमंग में संथेटिक रंगों से चेहरा व त्वचा जहां खराब हो सकती है, वहीं आंखों को भी यह नुकसान पहुंचा सकता है। चिकित्सक ऐसे रंगों से बचने की सलाह दे रहे हैं।
इस बार होली 28 मार्च को मनाई जाएगी। मथुरा व वृंदावन समेत ब्रज के अन्य तीर्थ स्थलों पर रोजाना होली महोत्सव हो रहे हैं। बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों का आगमन हो रहा है।
रंगों की दुकानें सज गई हैं। कपड़ा पर रंग डालने के साथ ही लोगों के चेहरे पर जो रंग लगाया जा रहा है, उससे बचें। ये त्वचा के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। ये रंग खतरनाक कैमिकल से बने होते हैं।
फिजीशियन डा अनिल कुमार का मानना है कि होली पर लोग जिस रंग को एक दूसरे पर डाल रहे हैं, ये रंग कापर सल्फेट से, परपल क्रोमियम आयोडाइड से, सिल्वर एलुमीनियम ब्रोमाइड से और काला रंग लेड आक्साइड को मिलाकर तैयार किया जाता है। चमकदार बनाने के लिए अक्सर रंग में कांच का बुरादा भी मिलाया जाता है। हरे रंग में मौजूद कापर सल्फेट अगर आंखों में चला जाए तो यह एलर्जी और अस्थायी अंधेपन का कारण बन सकता है। काले रंग में मौजूद लेड आक्साइड किडनी खराब होने का कारण बन सकता है। बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड होता है जो अस्थमा और एलर्जी पैदा कर सकता है।

सिल्वर कलर बनाने में एल्युमीनियम ब्रोमाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो कार्सिनोजेनिक हो सकता है, यानी यह कैंसर तक पैदा कर सकता है। लाल रंग में इस्तेमाल होने वाला मर्करी सल्फाइट त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए इन रंगों से बचना चाहिए। गुलाल में एल्यूमीनियम ब्रोमाइड मिलाया जाता है, जिससे कैंसर का खतरा रहता है।
फिजीशियन डा अनिल कुमार का कहना है कि रंग व गुलाल कैमिकल से बनते हैं। जो त्वचा के लिए ठीक नहीं है। कुछ कैमिकल तो शरीर के दूसरे अंगों के लिए और खतरनाक होते हैं। कोशिश हो कि रंग त्वचा के बजाए कपड़ो पर ही डले।

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