अयोध्या के बाद अब मथुरा के लिये जनजागरण की जरूरत: ठाकुर जी

हाथरस

राजरानी में हुआ विश्व विख्यात कथा वाचक पं. देवकीनन्दन का भव्य स्वागत

हाथरस। बड़े संघर्ष, समय और बलिदानों के बाद अयोध्या में श्री राम लाल मंदिर बन रहा है। कौन-कौन चाहता है अयोध्या के बाद मथुरा में भी मंदिर का निर्माण हो ? अभी तो सिलसिला शुरू हुआ है। अब मथुरा के लिये एक बड़े जनजागरण की आवश्यकता है।
यह उद्गार विश्व विख्यात कथा वाचक पं. देवकीनन्दन ठाकुर जी ने राजरानी मेहरा गेस्ट हाउस में ब्रजद्वार हाथरस के सनातनियों के सम्मुख व्यक्त किये। इस स्वागत समारोह में श्री ठाकुर जी ने कहा धर्म तो केवल और केवल “सनातन” ही है। और सब तो मजहब व संप्रदाय हैं। क्योंकि जहाँ सभी के कल्याण के भाव हो वही पर धर्म होता है। सनातन में ही विश्व के कल्याण का नारा दिया जाता है। धर्म सर्वोपरि है, व्यक्ति नहीं ? जो धर्म के प्रति जागरूक नहीं है वह शव के समान है। जो धर्म की रक्षा के लिए आगे आता है वही हिन्दू है।
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया। युवाओं से कहा, “वह बुरा देखे, न सुने और ना हीं कहें।” बॉलीवुड हमारे धर्म, संस्कृति और सोच को तोड़ मरोड़ कर हर बार अपमान किया है। बॉलीवुड है हमारे साधू, संतों देवी-देवताओं का बार-बार अपमानित किया है। युवा को पथ भ्रमित करने का प्रयास किया है। अब युग परिवर्तन का दौर है। हर युवा की जेब में मोबाइल रूपी परिवर्तन का महा यंत्र है। बन जाइए आप सत्य सनातन के सच्चे सिपाही। घर-घर तक पहुंचा दीजिए सनातन का संदेश। बना दीजिए भारत को फिर से विश्व गुरु। सनातन है तो धर्म है। सनातन है तो हिंदू है। सनातन है तो संस्कृति है। सनातन है तो हम हैं, तुम हैं, यह पूरा संसार है। जब धर्म ही नहीं रहेगा तो हम भी नहीं रहेंगे। अगर हमको और अपने वजूद को जीवित रखना है तो सनातन के लिए कर्म करना ही होगा। हो जाइए तैयार अयोध्या के बाद अब मथुरा के लिए एक ऐसा जन जागरण करना है कि मथुरा में भी श्री नंद के लाला का भव्य मंदिर का निर्माण हो। जय धर्म, जय सत्य सनातन। इस मौके पर इंटरनेशनल एडवोकेट आर्गेनाइजेशन के संरक्षक वरिष्ठ अधिवक्ता सीपी शर्मा, अध्यक्ष त्रिलोकी शर्मा, संदीप वर्मा, योगाँश पाराशर, देवेश दीक्षित, राधेलाल पचौरी, मोहित कश्यप, शेर सिंह, गोविंद वशिष्ठ, कपिल मोहन गौड़, संजय दीक्षित विपुल, अरविंद कुमार व कौशल आदि अधिवक्तागण के अलावा तमाम उद्योगपति, अधिकारी, कर्मचारी, युवा, बच्चे व महिलायें मौजूद थी।

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