आत्मनिर्भरता के लिए सोच को देना होगा बदलाव

हाथरस

-हर्बलधारा स्वरोजगार संगोष्ठी में वक्ताओं के वक्तव्य
हाथरस। जब देश की हर सोच टेक्नीकल हो, हर व्यक्ति नौकरी जैसी गुलामी से निकल कर अपने व्यापार को बड़ावा दे तो आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न और जल्दी साकार हो सकता है।
यह उद्गार हसायन क्षेत्र के गांव ग्वारऊ के प्राथमिक विद्यालय पर हुई हर्बलधारा स्वरोजगार संगोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि बिजनेस और प्रोद्योगिकी के अलावा कृषि क्षेत्र से देश व समाज के लिए राजस्व की प्राप्ति होती है। जिससे देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है। आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार की ओर लेजाने के लिए हर्बलधारा स्वरोजगार सिस्टम ने देश में पहल की है। आर्थिक आजादी के इस मिशन की खासियत यह है कि जो बेरोजगार युवा, युवतियां, प्रौढ़ व विद्यार्थी भी इस सिस्टम के माध्यम से अपने और अपने परिवार के सपनों को साकार करते हुए देश और समाज को आर्थिक मजबूती प्रदान कर सकते हैं। क्योंकि इस सिस्टम में न कोई रिस्क है, न कोई झंझट। ना ही कोई पैसा लगाने की आवश्यकता है। यह बिजनेस अपने घर का सामान खरीद ने से ही शुरू हो जाता है। यह बिजनेस विधि मान्य तरीके से चलता है और आपके बाद भी आपके परिवार में पैसा आता रहता है।
इस मौके पर मुख्य रूप से प्रेमवती, दुर्गपाल सिंह, गवेंद्र सिंह, चंद्रभान सिंह, संजय दीक्षित एडवोकेट, श्री राम, राकेश यादव, किशन सिंह, टीटू, चिंटू, रामकुमार गौतम आदि काफी लोग थे।

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