पंडित नथाराम गौड़ ने विश्वस्तर पर बढ़ाया हाथरस का मान- सँगीताचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवंशी

बृज दर्शन

हाथरसी सँगीत के पुरोधा के 149वे जन्मदिन पर कला पुरोधाओं व नवोद्भित बाल-कलाकारों का किया सम्मान

हाथरस। उत्तर प्रदेश की प्रमुख लोकनाट्य विधा नौटँकी के ख्यातिलब्ध पुरोधा साँगीत शिरोमणि हिन्दी भूषण पंडित नथाराम गौड़ जी की 149 वीं जयंती के अवसर पर ‘पंडित नथाराम गौड़ लोक-साहित्य शोध संस्थान, हाथरस (रजि.) व ‘ ब्रज संस्कृति केंद्र- मथुरा (रजि.) के संयुक्त तत्वावधान में ‘कृतज्ञता- अनुष्ठान’ का आयोजन श्याम-प्रेस परिसर में किया गया जिसकी अध्यक्षता संस्थान की अध्यक्ष व प. नथाराम गौड़ की पौत्र-वधु श्रीमती शशि बाला गौड़ (सुपत्नी स्व. पं. गौरी शंकर गौड़) द्वारा की गई, इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध लोककलाविद व अभिनेता डॉ. अष्ठभुजा मिश्रा (बनारस-प्रयागराज) व अति-विशिष्ट अतिथि के रूप में अवकाश प्राप्त सैन्य अधिकारी व ब्रज संस्कृति केंद्र, मथुरा के उपाध्यक्ष डॉ. शांति स्वरूप अग्रवाल (आगरा)
वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार चन्द्र प्रताप सिकरवार (मथुरा), नटरंजलि थियेटर आगरा की निदेशक सुश्री अलका सिंह व शिक्षाविद दीपाली सिंह (आगरा), डॉ मुकेश वर्मा, ( नेत्ररोग विशेषज्ञ: सवाई मानसिंह अस्पताल,जयपुर), डॉ बीरेंद्र कुमार चन्द्रसखी,(गाज़ियाबाद), डॉ नरेंद्र कुमार शर्मा ‘गोपाल’ (वरिष्ठ साहित्यकार व व्याख्याता भारतीय रेलवे स्कूल, टूण्डला) आदि मंचासीन रहे।

कार्यक्रम का प्रारम्भ प्रद्युम्न यदुवँशी द्वारा खाटू श्याम महाराज की वंदना से हुआ, इससे पूर्व अतिथियों द्वारा पंडित नथाराम गौड़ व प.गौरी शंकर गौड़ के छवि चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया गया। संस्था के उपाध्यक्ष आशीशगौड़ व उपनीत गौड़ तथा संस्थान के अन्य पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों का शॉल उढ़ाते हुए माल्यार्पण कर स्वागत किया। संस्थान के उपाध्यक्ष आशीष गौड़ ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए संस्थान की गतिविधियों पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। इसी क्रम में पंडित नथाराम गौड़ के प्रपौत्र कार्तिक गौड़, स्वास्तिक गौड़, अनुष्का गौड़ व याशिका गौड़ ने अपने परदादा पंडित नथाराम गौड़ के कृतित्व व व्यक्त्तिव का बखान किया। संस्था के सदस्य प. राम प्रकाश शर्मा द्वारा संस्थान के उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया तथा रेखा उपाध्याय ने युगपुरुष पंडित नथाराम गौड़ के स्वप्न को साकार करने का आह्वान किया।

तदोपरान्त संगीताचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवँशी के निर्देशन में भगत सांगीत नौटँकी की दशा ब दिशा विषयक अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें देश के कोने कोने से आये भगत सांगीत नौटँकी के विशेषज्ञों ने उपरोक्त विषय पर अपने विचार व्यक्त किये जिसमें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल द्वारा अकादमी सम्मान से पुरस्कृत संगीताचार्य डॉ. खेमचन्द यदुवँशी ने स्पष्ट किया-

“पण्डित नथाराम गौड़ ने हाथरस का विश्व स्तर पर मान बढ़ाया है, हमें अब इस विधा को संवारना होगा। वर्तमान इन भगत सांगीत नौंटकी का परिदृश्य संकट में है, आज इसकी वही स्थित है जो कभी संस्कृत नाटक की थी और धीरे धीरे विलुप्त होता चला गया या फिर हम यह कह सकते हैं कि संस्कृत नाटक को विकास और नवोनिमेश के नाम पर हिन्दी नाटक ने उस पर अतिक्रमण कर लिया। वही स्थित आज भगत सांगीत नौटँकी की हो रही है। बदलाव और नवोनिमेश के नाम पर हिन्दी नाटक के कुछ लोग केवल सरकारी अनुदान और सरकारी योजनाओं से लाभ लेने के लालच में थोड़ा सा नक्कारा खटका कर हिन्दी नाटकों के अंदर नाटक के कलाकारों से दो-चार सरलतम छंदों को मनचाहे तरीके से गवाकर नौंटकी के अस्तित्व को ही मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, जो इस विधा के लिये बेहद खतरा है। नौटँकी का आधुनिकीकरण और उत्थान करने के नाम पर ये लोग केवल सरकारी तंत्र से लाभ लेने तक ही सीमित हैं। नौटँकी के विकास करने के लिये ये लोग जनमानस तक जाने का नाम तक नहीं लेते, सरकार में इनकी अच्छी पहुँच होती है अतः नौंटकी की मंडलियों और कलाकारों को वहाँ तक पहुंचने ही नहीं देते। ऐसे में नौंटकी के कलाकार बदहाली में हैं। उन्हें दो वक्त की रोटी तक की आमदनी नहीं हो पाती है। इसीलिये भगत सांगीत नौंटकी के कालाकर भी इस लोकरंजनी विधा से पलायन करने को मजबूर हैं और कोई भी अपने बच्चों को इस विधा में लाने के लिये तैयार नहीं है।
हमें इस स्थित को सुधारना होगा और सरकार के समक्ष अपनी बात रखनी होगी, जिससे सरकार नौटँकी के वास्तविक स्वरूप को जिंदा रख सके। हमें आगे आकर भगत सांगीत नौटँकी के मूल स्वरूप को बचाना होगा, सरकार को भी चाहिए कि इन अतिक्रमणकारियों की नीयत को समझे और परम्परागत भगत सांगीत नौंटकी को प्रोत्साहन दे।”

अन्य वक्ताओं में डॉ. अष्ठभुजा मिश्रा (बनारस),डॉ. एस. एस. अग्रवाल (आगरा), डॉ. बीरेन्द्र कुमार चन्द्रसखी (गाज़ियाबाद), सुश्री अलका सिंह (आगरा), शिक्षाविद श्रीमती दीपाली सिंह (आगरा), कुमारी उमा शर्मा (मथुरा),कुँवर प्रद्युम्न यदुवँशी (मथुरा), सुप्रसिद्ध रंगकर्मी राज बन्दिश (हाथरस), राम प्रकाश शर्मा (जोगिया-हाथरस), आशुकवि अनिल बोहरे (हाथरस), कुमारी रेखा उपाध्याय व कुमारी सँगीता शर्मा (हाथरस प्रमुख थे।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में लोककला मर्मज्ञ विद्वान कलाकार डॉ. अष्ठभुजा मिश्रा (बनारस) को इस विधा के संरक्षण,उन्नयन और प्रचार-प्रसार में योगदान हेतु ‘ पंडित नथाराम गौड़ लोक-कला भूषण सम्मान-2021से तथा नटरांजलि थियेटर अगर की निदेशक सुश्री अलका सिंह को ‘ प. गौरी शंकर गौड़ भगत-सांगीत रत्न सम्मान-2021’ से विभूषित किया गया ।
इसी श्रंखला में अल्पायु में ही भगत सांगीत नौटंकी विधा के प्रति उत्कृष्ट कला अनुराग व भारी लगन के लिये बाल-कलाकार कुँवर प्रद्युम्न यदुवँशी ( मथुरा) तथा कुमारी संगीता शर्मा (नगला प्रेमा-हाथरस) को ‘साँगीत कौशल किशोर सम्मान – 2021’ से अलंकृत किया गया।

मुख्य अतिथि डॉ. अष्ट भुजा मिश्रा में कहा- “भारतीय लोक कलाओं का अपना अलग ही महत्व है और इन लोककलाओं ने समय समय पर देश को अविभूत किया है तथा मानव को संस्कृतिपरक संस्कार देती रही हैं। लोक संस्कृति के बिना सभ्य समाज की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है ऐसे में लोक कलाओं के संरक्षण के प्रति हमें सजग रहना होगा। भगत सांगीत नौटंकी तो लोक कलाओं की सिरमौर है, तभी तो इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकनाट्य के रूप में जाना जाता है और इसका पूरा श्रेय सांगीत के प्रणेता पंडित नथाराम गौड़ जी को ही जाता है जिन्होंने अपने अथक प्रयास से लोक रजनी इस विधा को गगनचुम्बी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।”
अपने उद्बोधन में अति विशिष्ट अतिथि डॉ. शांति स्वरूप अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि ” पंडित नथाराम गौड़ भगत सांगीत के पुरोधा थे। उन्होंने भगत सांगीत नौंटकी को जनजन तक पहुंचाने का ऐतिहासिक कार्य किया तथा अपने साहित्य को प्रकाशित करके इस विधा को हमेशा के लिये संरक्षित किया। मेरे द्वारा उनके साहित्य का डिजिटलाइजेशन करने का कार्य किया जा रहा है जिससे वह इंटनेट के माध्यम से सभी को आसानी से उपलब्ध हो सके।”

इस अवसर सांगीत विशेषज्ञों के साथ साथ कलाकारों के सम्बल पंडित हरिमोहन पाठक,लावनी गायक गोकुल चंद शास्त्री, राम बिहारी वाजपेयी, पार्थ बाजपेयी, कवि प्रदीप पण्डित, रुस्तम सिंह, जंगलिया, नंदकिशोर निराला, देवी सिंह निडर,डॉ दिलीप कुमार अमौरिया,सत्यप्रकाश शर्मा, रघुवीर प्रसाद शर्मा, बाबूलाल उपाध्याय, राजवीर सिंह, रामचन्द्र ठेकेदार, योगेश शर्मा फौजी, राम भजन लाल, श्याम सुंदर, चौधरी रिसाल सिंह, रामस्वरूप, भूपेंद्र कुमार, लाला राम, चंदन सिंह, कृष्ण कुमार, योग कुमार, राजीव कुमार, चंद्रपाल सिंह, नेमसिंह कुशवाह, इमरान खान, रमेश चन्द्र गुप्ता, मोहन सिंह, सतेंद्र सिंह, अर्जुन सिंह सूर्यवंशी, अमूल श्रीवास्तव, मूलचन्द शर्मा, देवेंद्र कुमार, रामगोपाल शर्मा, शिवचरण लाल, संजय वाजपेयी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

कार्यक्रम में आशीष गौड़ – नीतू गौड़,उपनीत गौड़-लक्ष्मी गौड़, राहुल गौड़- ज्योति गौड़, कार्तिक, स्वास्तिक, अनुष्का, याशिका गौड़, पण्डित कुलदीप शर्मा , ऋषभ कुमार, ललित शर्मा (लब्बू पंडित), धूपित अग्रवाल, धर्मवीर सिंह आदि का विशेष सहयोग रहा।

कार्यक्रम का सफल संचालन संस्थान के महासचिव खेमचन्द यदुवंशी द्वारा किया गया तथा संस्थान के कोषाध्यक्ष पंडित राहुल गौड़ ने सभी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।

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