पंडित राम कृष्ण शास्त्री के नीति वचन

बृज दर्शन

जय गणपति सुप्रभात।

स्वभावं नैव मुञ्चन्ति सन्त: संसर्गतोऽसताम्।
न त्यजन्ति रुतं मञ्जु काकसम्पर्कत: पिका:॥

।।दृष्टान्तशतकम्।।

जिस तरह कोयलें कौवों की सङ्गति में भी अपनी मीठी कूजन नहीं छोड़ती हैं, ठीक उसी प्रकार सज्जन पुरुष भी दुर्जनों की सङ्गति में भी स्वयं की सात्त्विक प्रकृति नहीं छोड़ते हैं।

परोपदेशसमये सर्वे व्यासपराशराः।
कल्याणमस्तु
श्री गणेशाय नमः महन्तआचार्य पं राम कृष्ण शास्त्री प्राचीन सिद्ध श्री दुर्गा देवी मंदिर गीता एनक्लेव बैंक कॉलोनी कृष्णा नगर मथुरा फोन नंबर 9411257286,7417935054

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