मथुरा में 13097 में से 84 फीसदी टीबी रोगी अब तक हुए ठीक

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-टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान का दूसरा चरण 2 जनवरी से होगा शुरु

-टीबी एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के लिए 220 टीम गठित, 44 सुपरवाइजर व 14 नोडल अधिकारी भी आज से जुटेंगे

मथुरा। टीबी लाइलाज नहीं है,, इस मर्ज को छुपायें नहीं। समय से दवा लें। कोर्स पूरा करें।
टीबी हारेगा- देश जीतेगा अभियान के अन्तर्गत द्वितीय चरण में 02 जनवरी से दस दिन के लिए टीबी के संबंध में एक्टिव केस फाईन्डिंग (एसीएफ) अभियान चलाया जायेगा।
जनपद में वर्ष 2020 में 13097 क्षयरोग के मरीज (3452 पब्लिक सेक्टर 7761 प्राईवेट सेक्टर) चिन्हित किये गये थे। वर्ष 2020 में कुल 84.39 प्रतिशत रोगियों को टीबी मुक्त किया गया।
टीबी की साधारण बीमारी में 06 महीने के कोर्स से, ड्रग रजिस्टेन्ट (एमडीआर) टीबी 09 माह से 11 माह के कोर्स से व एक्सडीआर टीबी 18 माह से 20 माह के कोर्स से पूरी तरह से ठीक हो सकती है। मर्ज को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि उसका इलाज कराना चाहिए। प्रत्येक टीबी मरीज को सरकार की ओर से 500 रुपये पोषण भत्ता दिया जा रहा है।
वर्ष 2020 में बिगडी हुई टीबी के 734 क्षय रोगी चिन्हित किये गये थे, जबकि वर्ष 2019 में बिगडी हुई टीबी के 641 क्षय रोगी चिन्हित किये गये थे।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजीव यादव ने बताया कि सरकारी चिकित्सालयों में टीबी के निःशुल्क उपचार व परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।
उन्होंने बताया 02 जनवरी से दस दिनों के लिए टीबी के संबंध में एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान चलाया जायेगा । जनपद मथुरा में मथुरा, वृन्दावन, माॅट, कोसी, फरह, छााता, गोवर्घन, नौहझील, राया के क्षेत्र में संवेदनशील स्थानों पर अभियान चलाया जायेगा। इसके लिए 220 टीम गठित की गयी हैं। 44 सुपरवाइजर व 14 नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं।


जीत प्रोजेक्ट में मथुरा के 42 केन्द्रों पर टीबी जांच हो रही

ज्वाइन्ट एफअर्ट्र्स फार ऐलिमिनेशन आफ टयूबरक्लोसिस (जीत) प्रोजेक्ट भी जिले में चलाया जा रहा है। इसमें प्रत्येक टीबी के मरीज के बलगम के साथ-साथ एचआईवी, मधुमेह की जांच भी करायी जा रही है। एमडीआर टीबी के मरीज को जांच के लिए ले जाते समय ट्रांसपोटेशन चार्ज भी दिया जा रहा है। मथुरा में 42 केन्द्रों पर टीबी की जांच करायी जा रही है साथ ही उनका एचआईवी परीक्षण भी किया जाता है ।

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