प्रकृति के तीन कड़वे नियम, जो सत्य हैं !!!

बृज दर्शन

श्री गणेशाय नमः महन्तआचार्य पं राम कृष्ण शास्त्री प्राचीन सिद्ध श्री दुर्गा देवी मंदिर गीता एनक्लेव बैंक कॉलोनी कृष्णा नगर मथुरा फोन नंबर 941125728,7417935054

प्रकृति का पहला नियम :
यदि खेत में बीज न डाले जाएं, यज्ञ तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं !!
ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ, तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते हैं !!

प्रकृति का दूसरा नियम :
जिसके पास जो होता है, वह वही बांटता है !!
• सुखी सुख बांटता है !!
• दुःखी दुःख बांटता है !!
• ज्ञानी ज्ञान बांटता है !!
• भ्रमित भ्रम बांटता है !!
• भयभीत भय बांटता है !!

प्रकृति का तीसरा नियम :

आपको जीवन में जो भी मिले, उसे पचाना सीखें क्योंकि ;

भोजन न पचने पर, रोग बढ़ते हैं !!

पैसा न पचने पर, दिखावा बढ़ता है !!

बात न पचने पर, चुगली बढ़ती है !!
प्रशंसा न पचने पर, अहंकार बढ़ता है !!
निंदा न पचने पर, दुश्मनी बढ़ती है !!
राज न पचने पर, खतरा बढ़ता है !!
दुःख न पचने पर, निराशा बढ़ती है !!
सुख न पचने पर, पाप बढ़ता है !!

एक गाजर के दो टुकड़े करें। एक को चीनी की चासनी में और दूसरे को नमक लगा कर रख दें।

कुछ दिन बाद एक टुकड़ा मुरब्बा और दूसरा टुकड़ा अचार बन जाएगा। गाजर वही है लेकिन नतीजा अलग-अलग। इसलिए जो कुछ बनना चाहते हैं, वैसे माहौल के लोगों में बैठें।

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