जीएलए के छात्रों ने बनाया “डिस्टलेशन वेस्ड वाटर प्यूरीफायर”

यूथ

——–

  • “डिस्टलेशन वेस्ड वाटर प्यूरीफायर” प्रोटोटाइप का भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय से हुआ पेटेंट
    मथुरा। जल संरक्षण पर ध्यान देते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बीटेक मैकेनिकल के छात्रों ने “डिस्टलेशन वेस्ड वाटर प्यूरीफायर” प्रोटोटाइप तैयार किया है। यह प्रोटोटाइप दूषित जल के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव एवं पानी की बर्बादी की समस्या को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसके माध्यम से ना केवल हमें शुद्ध जल उपलब्ध होगा बल्कि इससे निकलने वाला दूषित पानी काफी कम मात्रा में बर्बाद होगा।
    इस प्रोटोटाइप को पूर्ण करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय में स्थापित न्यूजेन आइईडीसी द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जिस कारण इसकी विशेषताओं के चलते इसे भारत सरकार द्वारा पेटेंट दिया गया है। इसके लिए छात्रों द्वारा काफी लगन से कार्य किया गया एवं एक इनोवेटिव आइडिया को धरातल पर उतारने पर उसे पेटेंट के रूप में साकार किया गया।
    न्यूजेन आइईडीसी के चीफ कोऑर्डिनेटर डाॅ. मनोज कुमार ने बताया कि “डिस्टलेशन वेस्ड वाटर प्यूरीफायर” प्रोटोटाइप छात्र कौस्तुभ श्रीवास्तव एवं आशीष त्रिपाठी द्वारा विभाग के एसेासिएट प्रोफेसर नवीन कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि डिस्टलेशन आधारित इस वाटर प्यूरीफायर के द्वारा अत्यंत दूषित जल को भी शुद्ध करके पीने योग्य बनाया जा सकता है। साथ ही साथ बाजार में उपलब्ध मौजूदा प्यूरीफिकेशन प्रणाली को भी भारी मात्रा में पानी की बर्बादी से रोका जा सकता है और पानी की समस्या का निदान करके जल संरक्षण का कार्य किया जा सकता है। इस टीम के प्रमुख सदस्यों ने बताया कि वे शीघ्र ही इस प्रणाली के वाटर प्यूरीफायर को बाजार में उतारेंगे, जिससे कि इस वाटर प्यूरीफायर का लाभ आम जनता को भी मिल सके।
    इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने एवं पेटेंटिंग में डीन रिसर्च प्रोफेसर अनिरुद्ध प्रधान एवं एसोसिएट डीन रिसर्च प्रोफेसर कमल शर्मा का विशेष सहयोग रहा। इनके द्वारा समय-समय पर दिए गए सुझाव एवं निर्देशों को पूरा करते हुए छात्रों ने डिस्टलेशन वेस्ड वाटर प्यूरीफायर प्रोटोटाइप तैयार किया।
Spread the love