सोमवार को है काल भैरव जयंती: हर तरह की उन्नति के लिए क्या करें और क्या ना करें

बृज दर्शन

आलोक गुप्ता, ज्योतिषाचार्य

मथुरा। काल भैरव जयंती 7 दिसंबर को है। शास्त्रों के अनुसार भगवान काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर हुआ था। इसलिए हर साल मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनायी जाती है। काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव जी की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष विशेष उपाय करने चाहिए।काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. इसे कालाष्टमी और भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. शिवपुराण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी .इन्हें काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है. काल भैरव की पूजा पूरे देश में की जाती है. भूत -प्रेत, पिशाच, कोटरा और रेवती आदि की गणना भगवान शिव के गणों में की जाती है. भगवान शिव प्रलय के देवता माने गए हैं .विपत्ति ,रोग एवं मृत्यु के समस्त दूत और देवता इनके सैनिक हैंऔर कालभैरव इन के सेनानायक है।-काल भैरव जयंती के दिन कुत्ते को भोजन कराएं और उसे किसी भी तरीके से परेशान या दुखी ना करें .काल भैरव अष्टमी के दिन बाबा भैरव नाथ को जलेबी का भोग लगाएं. इसके बाद बची हुई जलेबी किसी काले कुत्ते को खिला दें. कुत्ता बाबा भैरव नाथ की सवारी माना जाता है. अतः बाबा भैरवनाथ को कुत्ता अतिप्रिय होता है. कुत्ते को जलेबी खिलाने से उनकी विशेष कृपा आती है.
गरीबों को दान करें प्रसाद:
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव अष्टमी के दिन तैलीय खाद्य पदार्थ जैसे पापड़, पूड़ी पुए और पकौड़े भगवान को भोग लगाएं. इसके बाद अगले दिन इन्हें गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दें. ऐसा करने से आपके ऊपर भगवान काल भैरव की विशेष कृपा बनी रहेगी।

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