चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार
मथुरा। हमारी सनातन परंपरा में तीर्थस्थलों के पुरोहित-पंडा अपनी पोथी में उन परिवारों की पीढी दर पीढ़ी वंशावली लिखते और सुरक्षित रखते हैं, जो अक्सर तीर्थ स्थल पर स्नान, दर्शन, पूजा पाठ और दान पुण्य करने अाते हैं। नेहरू जी के पिता, बाबा और पड़बाबा भी तीर्थ यात्रा करते थे। पुष्कर के अलावा मथुरा के उनके अपने पुरोहित (चौबे जी) के यहां भी पुष्कर की तरह वंशावली मौजूद है। अनेक बार हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी ये वंशावली अधिकृत मान कर सही सबूत माना है। वंशावली कोर्ट में मान्य है।
20 मई 1975 को वंशावली के पन्ने उनके पुरोहित ने स्व. इंदिरा गांधी को मथुरा अागमन पर सुनाए थे। इस पर इंदिरा जी के साइन भी करा लिए। इंदिरा जी अक्सर संतों की शरण में जाती थीं। बाबा जयगुरुदेव से मिलने मथुरा अाती थीं। इमरजेंसी लगने से एक माह पहले वह धार्मिक कार्य से मथुरा अायी थी। उस समय उनके पुरोहित ने उन्हें ये वंशावली पढ़कर सुनाई थी।
ये वंश कश्मीरी पंडित प. लक्ष्मी नारायण का है जो जवाहर लाल नेहरू के पड़बाबा थे। प.लक्ष्मी नारायण के गंंगाधर नेहरू हुए। गंगाधर नेहरू के दो बेटे हुए जिनमें एक मोतीलाल नेहरू थे। मोतीलाल के दूसरे भाई का वंश अलग चला। मोतीलाल जी के जवाहर लाल नेहरू हुए। जवाहर लाल के बेटा नहीं बल्कि बेटी इंदिरा हुई। उनके दो बेटे संजय, राजीव हुए । राजीव के राहुल और प्रियंका हुए। ये पोस्ट सिर्फ नालेज के लिए है। इसकी तस्दीक वंशावली के चित्र को देख कर या इस परिवार के पुरोहित से मिल कर सकते हैं..