- 07 नवंबर को बाबा महाराजा की 132 ती जयंती
- सुबह गोर्वधन से पधरेंगे गिरराज
- होगा भव्य अभिषेक- पूजन
- शाम को सजेंगे आलौकिक छप्पन भोग व फूल बंगला
हाथरस। ”कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा॥” रामचरित मानस की इस चौपाई को वास्तव में गर्वधन वाले बाबा ने चरितार्थ कर के दिखाया है। गृहस्थ से संत और संत से समर्पण का रास्ता तय कर भगवत प्राप्ति कर स्वयं ही नहीं शिष्य परिक को भी प्रभु मिलन का रास्ता बता गये बाबा महाराज। बाबा महाराज की 132 वीं जन्म जयंती के से पूर्व सनातन का अलख जगा रहे संत प्रेमानंद जी महाराज के यह उद्गार सनातन परिकर में चेतना का प्रकाश फेला रहे हैं।
वृंदावन से संत बाबा प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि बाबा गयाप्रसाद जी महाराज ने 45 वर्ष के ग्रहस्थ जीवन के बाद पूज्य बाबा बैराज्ञ में बहुत ऊँचाई ले गये। क्यों कि प्रतिगृह शून्य जीवन, व्यवहार शुन्य जीवन, भक्ति में पूर्ण समर्पण भाव ने ही पूज्य बाबा महाराज को गुरु प्रिय बनाया। प्रेमानंद जी महराज कहते है कि बाबा गया प्रसाद जी महराज उड़िया बाबा के प्रिय शिष्य थे। एक बार उन्होंने सोचा कि हमने तो उड़िया बाबा महाराज को अपन गुरु मानलिया है, क्या बाबा ने हमको अपना शिष्य माना है। हृदय में यह बात सोचकर कि यदि गुरु अपने गले की माला दें तो समझेगे कि गुरुजी ने भी हमें अपना शिष्य मान दिया है। जैसे ही पूज्य बाबा गया प्रसाद जी उड़िया बाबा के समक्ष बेठे तो बाबा ने कहा, ”ओ गोर्वधन वाले बाबा माला पहनोगे” वह तो सोचकर ही गये थे। उड़िया बाबा ने रुद्राक्ष की माला पूज्य बाबा के गले में पहनादी।
बाबा महाराज का मुख्य शिष्य परिकर
पूज्य बाबा गया प्रसाद जी महराज ब्रज वसुंधरा के साक्षात गोर्वधन स्वरूप थे। यही कारण था कि उनकी सेवामें तमाम भक्त आते ले, लेकिन उनके पास रुकता कोई-कोई था। फिर भी पूज्य बाबा महाराज के शिष्य परिकर में ठाकुर दास, माधव दास बाबा, उपाध्याय बाबा ( गोरे दाऊजी बोल), मास्टर बाबा आदि प्रमुख हैं। श्री प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि मास्टर बाबा ने तो पूरे जीवन सब्जी में नमक और खीर में मीठे का स्वाद ही नहीं लिया।
पूरा संसार पूज्य बाबा महाराज के लिए कृष्णमय था
श्री प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि रामचरित मानस यह चौपाई ”सियाराम मय सब जग जानी करहुँ प्रणाम जोर जुग पानी” यथार्थ चरितारित होती हैं। क्योंकि पूज्य बाबा महाराज समर्पित संत थे। हर बल्यावस्था में उन्हें श्री कृष्ण के दर्शन होते थे। क्योंकि भाव में हीं भगवान होते हैं।
07 नंवबर को जयंती पर गोर्वधन से पधारेंगे गर्राज
ब्रज वसुंधरा के विरक्त संत पूज्य बाबा गया प्रसाद जी की 132 वीं जन्म जयंती 07 नवंबर, 2024 (कार्तिक शुक्ल पक्ष छट) बृहस्पतिवार को मानाई जायेगी। सुबह 08 बजे गोर्वधन से गिर्राज जी पधरेंगे। सुबह 09 बजे श्री गिर्राज अभिषेक-पूजन व सायं 6 बजे से श्री गिर्राज के अलौकिक छप्पन भोग दर्शन व हरि ईच्छा तक देर रात भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। ब्रजबरसाना यात्रा मंडल व गोर्वधन सेवा समिति ने क्षेत्र की धर्म परायण भक्त परिकर से सपरवार उपस्थित रहने का निवेदन किया है।