मथुरा के एक निजी अस्पताल से हारे राम कुमार को केएम ने दिया नया जीवन

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न्यूरो सर्जरी ने आयुष्मान के जरिए निःशुल्क किया का इलाज, मरीज के परिजनों ने दिया डाक्टर्स को साधुवाद

रामकुमार के पूरे शरीर में गांठ होने से हो गया था बेजान

मथुरा। विश्वस्तरीय इलाज के लिए जाने वाले केएम सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में असंभव इलाज भी संभव हो रहे है। केएम की न्यूरो सर्जरी के स्पेशिलिस्ट डा. संदीप चौहान ने आयुष्मान योजना के तहत सर्जरी के माध्यम से रामकुमार का न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस से निजात दिलाकर नया जीवन दिया है। इस सफलता के लिए केएम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशन चौधरी, वाइस चालंसर डा. डीडी गुप्ता, एडीशनल मेडीकल सुप्रीडेंट डा. आरपी गुप्ता, मेडीकल प्राचार्य डा. पीएन भिसे, रजिस्ट्रार पूरन सिंह ने न्यूरो सर्जरी की डाक्टर्स टीम को बधाई दी है।

इस मुश्किल ऑपरेशन पर डा. संदीप चौहान ने बताया कि न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस बीमारी में पूरे शरीर में गांठ (न्यूरोफाइब्रोम) होने की समस्या एक लाख लोगों में से एक को होती है।
विदित रहे कि 31 वर्षीय रामकुमार पुत्र दीन दयाल निवासी कृष्णा बिहार कॉलौनी कोसीकलां को एक जून को रीढ़ में गांठ उठी और धीरे धीरे उसके पूरे हाथ पैर सब जगह (न्यूरोफाइब्रोम) (गांठें) होती चली गई। रामकुमार की यह हालत हो गई कि वह जिंदा होते हुए भी मरणासन्न हालत था, उसके हाथ-पैर मूमेंट नहीं कर पा रहे थे। परेशान रामकुमार के परिजनों ने न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस बीमारी का इलाज कराने को जयपुर, नोएडा, आगरा, फरीदाबाद, दिल्ली दिखाया जहां सभी ने उसका इलाज करने से इंकार कर दिया। उसके बाद मथुरा के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचा जहां भी उसको निराशा हाथ लगी, वहां भी चिकित्सकों ने उसका इलाज करने से इंकार कर दिया। बेहतरीन इलाज के लिए लोगों ने केएम हॉस्पिटल की सलाह दी तो उन्होंने न्यूरो सर्जरी विभाग के स्पेशिलिस्ट डा. संदीप चौहान को दिखाया, ऑपरेशन जोखिम भरा था लेकिन फिर भी चिकित्सक ने सारे टेस्ट होने के बाद उसका 6 घंटे सर्जरी की और वह सफल रहीं। आज उसकी हालत में सुधार है वह हाथ-पैरों से मूमेंट कर रहा बोल रहा है। इस ऑपरेशन में डा. संदीप का सहयोग डा. नवसंगीत, डा. भूपेन्द्र, डा. सौमया, डा. नेहा के अलावा नर्सिंग और ओटी के इंचार्ज विशवेन्द्र और शिवकुमार की टीम ने किया।

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