केएम विवि में बरस रहा है श्रीमद्भागवत पुराण का अमृत, कृष्णमय हुआ वातावरण

बृज दर्शन

व्यास पीठ से ठाकुरजी महाराज ने किया बाल-लीलाओं का अद्भुत वर्णन

भगवान को बांधना है तो भक्ति रूपी रस्सी से बांधों : श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री

रहने के लिए भारत-भूमि से बढ़िया भूमि कोई नहीं- श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री

भारत-भूमि में जन्म लेना पुण्य का फल- श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री

मथुरा । केएम विश्वविद्यालय में सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास विश्वप्रसिद्ध भागवत भास्कर श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुरजी महाराज) ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं का अद्भुत वर्णन करते हुए कहा भगवान को कपट वेश अच्छा नहीं लगता। जब भगवान श्रीकृष्ण को पूतना मारने के लिए कपटवेश धारण करके आई, तब भगवान ने पूतना को देखकर अपनी आंखें बंद कर ली। भगवान कहते हैं-हमारे सामने अपने वास्तविक रूप में आओ कपट का रूप लेकर नहीं। शास्त्रीजी ने कहा भगवान इतने दयालु है कि पूतना को माता यशोदा की गति प्रदान कर दी। आगे की कथा में तृणावर्त, शकटासुर आदि राक्षसों का उद्धार भगवान ने किया। भगवान ब्राह्मण एवं सन्तों के दुःख को बर्दाश्त नहीं करते।
शास्त्री जी ने कहा भगवान को बांधना है तो भक्ति रूपी रस्सी से बांधों। एक दिन माता यशोदा ने भगवान को ऊखल से बांधने लगी लेकिन हर बार दो अंगुल रस्सी कम पड़ जाती, बहुत प्रयास करने पर भी जब भगवान नहीं बंधे, तब मैया बड़े प्यार से कन्हैया को निहारने लगीं, अश्रुपात करने लगीं तब भगवान सहजतापूर्वक माता यशोदा की प्रेम की रस्सी में बंध गए, उन्होंने आगे कहा कि जब ब्रजवासियों ने देवराज इन्द्र की पूजा करना बंद कर दिया, तब इन्द्र नाराज हो गए। काले-काले मेघमालाओं के द्वारा घनघोर वर्षा की तब भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की। शास्त्री जी ने कहा कि गोवर्धन पूजन का मतलब है, प्रकृति का पूजन, प्रकृति का संरक्षण ही गोवर्धन पूजन है, इसलिए भारत-भूमि पर जन्म लेना पुण्य का फल है तथा रहने के लिए भारत-भूमि से बेहतर कोई भूमि नहीं। गोवर्धन पूजन के साथ कथा का विश्राम हुआ, जिसमें छप्पन भोग से श्रीगिरिराज का भोग लगाया गया।
आरती में मुख्य अतिथि भागवताचार्य इंद्रेश उपाध्याय जी, स्वामी चितप्रकाशानन्द महाराज, भागवताचार्य गोपाल भैयाजी, भागवताचार्य डॉ हरिमोहन गोस्वामी, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशन चौधरी, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती संजू चौधरी, पुत्र पार्थ चौधरी, प्रथम चौधरी एवं दाऊजी मंदिर के रिसीवर आरके पांडेय शामिल रहे।
इस अवसर पर कुलाधिपति के पिता मोहन सिंह, उनकी मां ननगी देवी, भाई देवी सिंह, हितेश चौधरी, रवि चौधरी सहित परिवार के सभी सदस्य एवं विवि के वाइस चालंसर डॉ डीडी गुप्ता, प्रो वाइस चांसलर डॉ शरद अग्रवाल, रजिस्ट्रार पूरन सिंह, सीओई डॉ मनोज ओझा, मेडीकल प्राचार्य डा. पीएन भिसे, डीन डॉ धर्मराज सिंह, विवि के प्रोफेसर, शिक्षक शिक्षिकाएं तथा विवि और हॉस्पीटल का स्टाफ तथा हजारों की संख्या में महिला-पुरुष और बच्चे मौजूद रहे।

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