जय गणपति सुप्रभात।
अवश्यं यातारश्चिरतरमुषित्वापि विषया
वियोगे को भेदस्त्यजति न जनो यत्स्वयममून्।
व्रजन्तः स्वातन्त्र्यादतुलपरितापाय मनसः
स्वयं त्यक्त्वा ह्येते शमसुखमनन्तं विदधति।।
।।वैराग्यशतकम् ।।
इन्द्रिय विषय चिरकाल तक हमारे साथ रहने के पश्चात कभी न कभी तो हमें छोड़कर चले जाने हैं। तो इससे क्या अन्तर पड़ता है कि वे हमें छोड़ें या हम उन्हें छोड़ दें?
यह बात अवश्य है कि छोड़ कर जानेवाले विषय हमें क्लेश प्रदान करते हैं किन्तु स्वेच्छा से किया गया विषयों का त्याग हमें स्वयं नियन्त्रण का अपार सुख देता है।
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् |
कल्याणमस्तु✋
श्री गणेशाय नमः महन्तआचार्य पं राम कृष्ण शास्त्री प्राचीन सिद्ध श्री दुर्गा देवी मंदिर गीता एनक्लेव बैंक कॉलोनी कृष्णा नगर मथुरा फोन नंबर 9411257286,7417935054