नवनिर्मित गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का किया गया प्रकाश, ‘भोले सो निहाल सतश्री अकाल’ की जयघोष

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मथुरा। सिखों के नवें गुरू गुरू तेग बहादुर साहिब के नवनिर्मित बने गुरूद्वारे में सुशोभित गुरू ग्रंथ साहिब का रविवार को प्रकाश किया गया। नवनिर्मित सुसज्जित गुरूद्वारे में विराजमान गुरू ग्रंथ साहिब के आलोकिक दर्शन कर साद संगत में माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर ‘भोले सो निहाल सत श्री अकाल’ के गगनभेदी जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय होता रहा। इस कार्यक्रम में साद संगत ने लंगर प्रसाद ग्रहण किया और कार्यक्रम में दिखी सामाजिक एकता।


होलीगेट स्थित एतिहासिक गुरूद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में नवनिर्मित बने गुरुद्वारे का रविवार को भव्यता एवं रहत मर्यादा के अनुसार श्री गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया। कार्यक्रम में गुरूद्वारे को भव्यता के साथ सजाया गया था। गुरूद्वारे में विराजमान गुरू ग्रंथ साहिब की छवि देखते ही बनती थी। हर कोई गुरू ग्रंथ साहिब के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाना चाहता था। कार्यक्रम में मथुरा दिल्ली एवं अन्य प्रान्तों से आयी साद संगत (श्रद्धालु) ने शामिल होकर दर्शनों का लाभ उठाया साथ ही कार्यक्रम की शोभा भी बढ़ाई। साद संगत ने गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेका तथा कीर्तन में भाग लिया। कार्यक्रम में भोले सो निहाल सतश्री अकाल के गगनभेदी जयघोष से गुरूद्वारा गुंजेमान होता रहा। वहीं गुरूद्वारे में रागी जत्थों शब्द कीर्तन गुरुवाणी कर सभी को निहाल किया।
इस अवसर पर बंगला साहिब कार सेवा दिल्ली वालों के मथुरा प्रभारी बाबा रविन्दर सिंह ने बताया कि पंथरत्न बाबा हरवंश सिंह जी के पंचतत्व में विलीन होने के बाद उनके बरसाये बाबा वचन सिंह, बाबा महेन्द्र सिंह ने मथुरा के ऐतिहासिक गुरूद्वारे को बनाने का बीड़ा उठाया है। इससे पूर्व मथुरा में मसानी स्थित गुरुद्वारा गुरूनानक बगीची तथा वृन्दावन स्थित गुरूद्वारा गुरूनानक टीला बंगला साहिब कार सेवा दिल्ली वालों द्वारा बनाया गया है। रविवार को इसी श्रृंखला में नवनिर्मित गुरूद्वारे में गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया ताकि गुरूद्वारे में गुरूवाणी का कार्यक्रम सुचारू रूप से चलता रहे और साथ ही कार सेवा भी साथ-साथ चलती रहे। उन्होंने बताया गुरूद्वारा गुरू तेग बहादुर साहिब एक ऐतिहासिक गुरूद्वारा है जहां सिखों के नवें गुरू गुरुतेग बहादुर साहिब विक्रम संवत् 1731 में मथुरा पहुंचे तथा यहां विश्राम किया था। उस समय के साक्ष्य यहां आज भी मौजूद हैं। उनके यहां ठहरने का स्थान तथा कुंआ आज भी यहां मौजूद है। कार्यक्रम में गुरू ग्रंथ साहिब के प्रकाश के बाद कार सेवा भी साथ-साथ चालू की गई। जिसमें साद संगत ने कार सेवा में अपना योगदान दिया।
कार्यक्रम मीडिया प्रभारी बलविंदर सिंह ने बताया कि अंत में दिल्ली से पधारे बंगला साहिब कार सेवा के बाबा वचन सिंह, बाबा महेन्द्र सिंह को सुरोपा एवं शॉल उढ़ाकर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम में तरनजीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरप्रीत सिंह, गुरूचरनजीत सिंह, गुरुवीर सिंह, रनवीर सिंह आदि का विशेष सहयोग रहा। धन्यवाद ज्ञापन मथुरा की साद संगत ने किया।

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