वृंदावन। सुनरख मार्ग स्थित हरे कृष्ण ओरचिड में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भागवताचार्य श्री गिरीशानंद सरस्वती महाराज की भागवत कथा का शुभारंभ श्री राधा कृष्ण मंदिर से हरिनाम संकीर्तन के बीच मंगल कलश शोभायात्रा के साथ हुआ। श्रीमद्भागवत कथा का पूजन अर्चन श्री राधा कृष्ण के समक्ष सदगुरुदेव श्री ॠतेश्वर महाराज ने दीप प्रज्वलन कर किया। आनंदम धाम पीठाधीश्वर ॠतेश्वर महाराज ने कहा रामकृष्ण भारत का इतिहास हैं। भागवत श्रवण का सबसे बड़ा प्रसाद आनंद और प्रसन्नता है। धर्म और संस्कृति की रक्षा करनी होगी। राम वन गए तो बन गए। राजा परीक्षित ने 7 दिन में श्रीमद्भागवत का सारा आनंद प्राप्त कर लिया। संतो के पास श्री राधा रानी और कृष्ण भगवान की पावर होती है। व्यासपीठाचार्य स्वामी गिरिशानंद सरस्वती महाराज ने कहा बच्चों को अपने माता पिता साधु-संतों को सुपरस्टार मानना चाहिए। वृंदावन में संत महापुरुष रहते हैं। ब्रज रज उढती रहती है। आज वृंदावन प्रयागराज बना हुआ है। संत समागम बह रहा है। बिना किशोरी जी के कथा कहना और सुना असंभव है। किशोरी जी के बिना कृष्ण का प्रेम नहीं मिल सकता। मनुष्य को चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए। संत गुरु और राधा रानी की कृपा के बिना कथा संभव नहीं होती। पूजा में अभिमान नहीं होना चाहिए। भगवान व गुरु को साष्टांग दंडवत प्रणाम करना चाहिए। प्रणाम परिणाम बदल देता है। कथा भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित होकर सुननी चाहिए। इस अवसर पर जूना अखाड़े के सचिव देवानंद सरस्वती महाराज, वेदांत केसरी मुक्तानंद पुरी महाराज, उमा शक्ति पीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर एन द्विवेदी राजू भैया, विधायक श्रीकांत शर्मा , पंडित उत्तम शर्मा का आयोजक दीपा सुरेवाला , ऋषभ सुरेवाला, तुषार त्रिवेदी, सुमन लोहिया, मंजू शंकर अग्रवाल, शंकर रोशनलाल अग्रवाल परिवार मुंबई ने आए हुए अतिथियों का स्वागत सम्मान किया।