लगभग दो वर्ष छह माह में पूरी होगी दंडौती परिक्रमा
गंगोत्री से रामेश्वरम तक का करीब 3800 किलोमीटर का पड़ता है सफर
संतों की टोली एक दिन में 5-6 किलोमीटर ही लगा पाती है दंडौती
सासनी। धर्म और आस्था के संगम के साक्षात दर्शन करा रही है गंगोत्री से रामेश्वरम् की दंडौती परिक्रमा। 29 जून 2022 को आरंभ हुई दंडौती परिक्रमा रामेश्वरम पहुंच कर संपन्न होगी।
जनकल्याणार्थ 29 जून को मां गंगोत्री की गोद से आरंभ हुई दंडौती परिक्रमा रविवार को सासनी पहुंची। हरिअनंता कांप्लैक्स में कुछ समय विश्राम के वक्त रामदास जी (नागा बाबा जी) ने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि संतों का काम तो भजन करना है और विश्व के कल्याणार्थ प्रभु से आस्था का भाव रखना है। मौनी बाबा व बाबा दामोदर दास ने हिन्दू राष्ट्र के संबंध में बताया कि हमारा कर्म तो भजन करना है, लेकिन शासन किसी का हो हमारे लिये पूरे चराचर जगत में प्रभु की सत्ता है। रही बात हिन्दु राष्ट्र की तो उसके लिए लोग लगे हुए हैं और समय आने पर वह हो ही जायेगा। बाबा ऊधौंदास जी महाराज ने बताया कि हमारे गुरू जी श्री 1008 दयाराम दास जी महाराज गोलोक गंगापुर धाम ने बताया है संतों को तो भजन, यात्रायें, सत्संग और परिक्रमायें करनी चाहिए। सत्ता और शासन से दूर रहना चाहिए, लेकिन जब धर्म को अधर्म प्रभावित करे तो संत सकारात्मकता के साथ पहल करते हैं। जो आप लोग देख कर और समझ रहे होंगे। बाबा मौनी महाराज ने कहा कि संत का मतलब ही वासनाओं की शांति और प्रभु प्राप्ति के लिए भजन करना है। हां सर्व कल्याण के लिए कार्य करने वाला मनतव्य सनातन धर्म ही है और केवल शासन परिवर्तन से ही सर्व कल्याण नहीं हो सकता उसके लिए भजन-कीर्तन, सात्विक भाव, सकारात्मक सोच और वेदिक और पौराणिक अध्ययन का प्रचार-प्रसार भी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि हमारी यह दंडौती परिक्रमा भी सर्व कल्याण के लिए है। जो गंगोत्री से रामेश्वरम तक लगभग 3800 किलो मीटर की बैठती है, हांलाकि यह और कम हो सकती है, लेकिन इसके लिए हमको नर्मदा नदी कर्मनाशा को लांघना पड़ेगा। हम दोनों ही नदी नर्मदा और कर्मनाशा बचाते हुए अपनी यह सबसे बड़ी दंडौती परिक्रमा को प्रभुकृपा से पूरा करेंगे। एक प्रश्न पर उन्होंने बताया कि वैसे तो हमारा निकास अयोध्या से है, लेकिन हमारा आश्रम गोलोक गंगापुर धाम मुरैना (मध्य प्रदेश) है। हमारी यह दंडौती परिक्रमा लगभग दो या सवा दो वर्ष में पूर्ण होने की आशा है।
दंडौती परिक्रमा में शामिल संतों के सत्कार में मुख्य रूप से हेमंत सेंगर, मनु पाठक, विजय चौधरी, देवेंद्र बघेल, संजय चौधरी, शिवम शर्मा, मनोज, ठा.हरीओम, कृष्णा वर्मा, सुमित ठाकुर, रवि बाबू, सुमित अग्रवाल आदि प्रमुख थे।