मथुरा। मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण की सबसे पहली बनी महाविद्या कालोनी के आवंटियों के प्लाट व आवास की लीज भूमि को शासनादेश के 27 वर्षों बाद भी फ्री होल्ड न किए जाने पर स्थानीय कालोनीवासियों ने रोष जाहिर किया है। कालोनीवासियों ने लीज भूमि को फ्री होल्ड किए जाने की मांग की है। महाविद्या कालोनी के निवासियों ने मांग की है कि उनके प्लाट/भवन की लीज भूमि को अविलंब फ्री होल्ड नहीं किया गया तो कालोनी के 4000 मतदाता आगामी नगर निगम चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने को विवश होंगे।
रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में महाविद्या कालोनी विकास एवं कल्याण समिति के महामंत्री शिव कुमार गुप्ता ने बताया कि महाविद्या कालोनीके प्रथम चरण का निर्माण मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने सन 1980 में तथा द्वितीय चरण का सन 1986 में शासकीय नज़ूल भूमि को शासनादेश अनुसार लीज पर लेकर किया तथा कालोनी विकसित कर मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने उस समय निकट की विकसित कालोनी गोविंद नगर सेक्टर-ए के तत्कालीन आवासीय सर्किल रेट के बराबर (तत्कालीन बाजार मूल्य) भूमि मूल्य व 90 वर्ष का लीज रैंट (भूमि मूल्य का दस प्रतिशत) लेकर आवंटियों को लीज डीड की।
समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सक्सेना ने बताया कि सन 1995 में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग का शासनादेश 10 मई 1995 निर्गत हुआ कि शासनादेश निर्गत होने के पूर्व के विकास प्राधिकरण के आवंटियों, जो भूमि मूल्य व भूमि मूल्य का दस प्रतिशत लीज रैंट जमा कर चुके हैं, से भूमि मूल्य के दो प्रतिशत फ्री होल्ड चार्ज लेकर उनके प्लाट व आवास की भूमि को फ्री होल्ड कर दिया जाए। महाविद्या कालोनी मथुरा के आवंटी शासनादेश निर्गत होने के बाद से फ्री होल्ड की मांग कर रहे हैं। आवंटी शासनादेश में वर्णित भूमि मूल्य और दस प्रतिशत लीज रैंट आवंटन के समय जमा कर चुके हैं और शासनादेश के अनुसार दो प्रतिशत फ्री होल्ड चार्ज जमा करने को सहर्ष तैयार हैं।
उन्होंनें बताया कि मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को कालोनी की कुल लीज भूमि को नजूल विभाग कलक्ट्रेट मथुरा से अपने पक्ष मे फ्री होल्ड करानी है किन्तु दोनों विभागों के बीच 27 वर्षों से फ्री होल्ड चार्ज को लेकर विवाद बना हुआ है और जिम्मेदारी से बचने के लिए दोनों विभाग फाइल को फुटबॉल की तरह इधर-उधर या शासन की ओर भेजते रहते हैं। शासनादेश निर्गत हुए 27 वर्ष हो गए किन्तु मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण, कालोनी की प्रश्नगत भूमि को अपने पक्ष मे फ्री होल्ड नहीं करा पाई है। इसे आधार बनाकर हम आवंटियों के प्लाट व आवास की लीज भूमि को फ्री होल्ड नहीं कर रही है।
समिति के उपाध्यक्ष जय नारायण वार्ष्णेय ने बताया कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने सन 2014 में भी शासनादेश 12 दिसम्बर 2014 में भी पुनः स्पष्ट किया गया कि विकास प्राधिकरण के सन 1995 से पूर्व के पट्टाधारकों से सन 1995 के शासनादेश अनुसार ही फ्री होल्ड चार्ज लिया जाए।
समिति के उपाध्यक्ष राधेश्याम बंसल ने यह भी अवगत कराना है कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने शासनादेश मे कुछ परिवर्तन/संशोधन के प्रस्ताव पर सुझाव/अभिमत/आपत्ति मागी गई हैं किन्तु विकास प्राधिकरण से संबंधित बिन्दु 5-1-2 को यथावत रखा गया है। बार बार शासनादेश होने के बाद भी मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण, नजूल विभाग कलक्ट्रेट मथुरा से कालोनी की प्रश्नगत भूमि को अपने पक्ष मे फ्री होल्ड कराने के विवाद को 27 वर्षों से लटकाए है। उपाध्यक्ष डा शरद सक्सेना ने कहा कि फ्री होल्ड न किए जाने के कारण बैंक लौन के लिए अनापत्ति व विक्रय पर ट्रान्सफर के प्रार्थना पत्रों पर तरह तरह की आपत्ति लगाकर वित्तीय व मानसिक शोषण किया जाता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस मे जुगल किशोर अग्रवाल, राजीव कपूर, केसी शर्मा, राज कुमार खण्डेलवाल, ओपी बंसल, सुभाष गुप्ता, राम प्रकाश यादव, सत्य व्रत सिंह, कृष्ण गोपाल सिंघल, भारत भूषण सिंघल, पुष्पेन्द्र सिकरवार, सत्य वीर सिंह भाटी, प्रशांत वर्मा, रामवीर सिंह वर्मा आदि बड़ी संख्या में कालोनीवासियों ने एक स्वर में मतदान बहिष्कार का समर्थन किया।